जानिये वो स्थान, जहां स्नान से पैदा हो संतान
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जानिये वो स्थान, जहां स्नान से पैदा हो संतान

अगर शादी के बहुत साल बाद भी आपके आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजी है तो चलिये वहां, जहां स्नान से संतान सुख मिलता है। गोवर्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में पड़ता है राधा कुंड। मान्यता है कि इस कुंड में अगर नि:संतान दंपति, एक साथ स्नान करें तो उनके घर बच्चे की किलकारी गूंज सकती है। यहां महिलायें अपने केश खोलकर राधा जी से संतान का वरदान मांगती हैं। राधाकुंड में भगवान श्रीकृष्ण ने, अष्ट सखियों संग महारास रचाया था। यह कुंड राधा जी ने अपने कंगन से खोदा था। राधाकुंड के बगल में ही श्रीकृष्ण कुंड है जिसकी बनावट बिल्कुल श्रीकृष्ण की तरह बांकी यानि 3 जगह से टेढ़ी है। 

फाइल फोटो

दिल्ली: अगर शादी के बहुत साल बाद भी आपके आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजी है तो चलिये वहां, जहां स्नान से संतान सुख मिलता है। गोवर्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में पड़ता है राधा कुंड। मान्यता है कि इस कुंड में अगर नि:संतान दंपति, एक साथ स्नान करें तो उनके घर बच्चे की किलकारी गूंज सकती है। यहां महिलायें अपने केश खोलकर राधा जी से संतान का वरदान मांगती हैं। राधाकुंड में भगवान श्रीकृष्ण ने, अष्ट सखियों संग महारास रचाया था। यह कुंड राधा जी ने अपने कंगन से खोदा था। राधाकुंड के बगल में ही श्रीकृष्ण कुंड है जिसकी बनावट बिल्कुल श्रीकृष्ण की तरह बांकी यानि 3 जगह से टेढ़ी है। 
संतान के लिए राधा कुंड में क्यों होता है स्नान ?
कहा जाता है कि एक बार गोवर्धन में गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर नाम के गाय के बछड़े ने श्रीकृष्ण पर हमला कर दिया था। तब भगवान ने उस बछ़ड़े का वध किया। राधा जी इसी बात से नाराज हो गईं क्योकि अरिष्टासुर नाम का राक्षस बछड़े का वेश धर कर आया था। लेकिन कान्हा ने एक बछड़े का वध किया था। उन पर गोवंश हत्या का पाप लगा था। इस पाप से प्रायश्चित के लिए राधा जी ने सारे तीर्थों का जल एक कुंड में लाने को कहा। तब श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से यह कुंड खोदा था। राधा जी ने भी अपने कंगन से राधा कुंड खोदा। फिर राधा कृष्ण ने इसी कुंड में स्नान के बाद किया था अष्ट सखियो संग महारास। महारास से प्रसन्न होकर राधा जी ने श्रीकृष्ण को यह आशीर्वाद दिया कि जो भी अहोई अष्टमी की रात राधा और कृष्ण कुंड में स्नान करेगा उसके घर साल भर के अंदर ही संतान की किलकारी गूंजेगी। राधाकुंड में घुटने से ज्यादा जल में खड़े होकर, राधा कृपा कटाक्ष का 100 बार पाठ करने से भी, सभी सांसारिक इच्छायें बहुत जल्दी पूरी हो जाती हैं। 

       

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