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नई दिल्ली: जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों के शवों को दफनाने का फैसला तब किया गया जब इस्लामाबाद ने उनकी पहचान के बारे में एनआईए के दावे को खारिज कर दिया। ये आतंकवादी पठानकोट में वायु सेना के ठिकाने पर हमले के दौरान मुठभेड़ में मारे गए थे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को सारी प्रासंगिक सूचना प्रदान की गई लेकिन वहां के अधिकारियों ने कहा कि भारत ने जो सूचना सांझा की उसका सत्यापन नहीं किया जा सका और इसे असत्यापित माना जा सकता है। इन सूचनाओं में आतंकवादियों के पते और उनके माता-पिता के बारे में जानकारी शामिल थी। इसके बाद एनआईए ने सरकार के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद उनके शव को पठानकोट में अज्ञात स्थान पर दफनाने का फैसला किया।
शवों को तीन जनवरी से पठानकोट सिविल अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है। चारों 80 घंटे की मुठभेड़ के बाद मारे गए थे। एनआईए ने पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के साथ चार आतंकवादियों के स्वैब को साझा किया था। जेआईटी ने इस साल मार्च-अप्रैल में भारत का दौरा किया था। आतंक निरोधक जांच एजेंसी जिसने आतंकवादियों के डीएनए नमूने को सुरक्षित रखा था उसने पाकिस्तान को इसे लेकर मारे गए आतंकवादियों से जुड़े स्थानों पर रहने वाले लोगों के नमूने भेजने को कहा था।