बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने गुरुवार (8 अक्टूबर) को पूछा कि क्या किसी जांच एजेंसी को तफ्तीश करने के तरीके के बारे में सलाह देने का काम मीडिया का है?
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मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने गुरुवार (8 अक्टूबर) को पूछा कि क्या किसी जांच एजेंसी को तफ्तीश करने के तरीके के बारे में सलाह देने का काम मीडिया का है? मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह प्रश्न किया.
अदालत ने कहा, ‘‘क्या जांच एजेंसी को परामर्श देना मीडिया का काम है? यह काम जांच अधिकारी का है.’’ मामले में प्रतिवादी बनाये गये एक समाचार चैनल की ओर से वकील मालविका त्रिवेदी ने जनहित याचिकाओं का विरोध किया जिसके बाद न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी की. त्रिवेदी ने जनहित याचिकाएं दाखिल करने वाले पूर्व पुलिस अधिकारियों के एक समूह की ओर से वरिष्ठ वकील आस्पी चिनॉय की दलीलों का विरोध किया.
जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि राजपूत मामले में मीडिया ने मुंबई पुलिस की छवि खराब की. त्रिवेदी ने कहा कि रिपोर्टिंग करने पर कोई प्रतिबंध का आदेश नहीं दिया जा सकता.उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया की भूमिका पर संरचनात्मक सीमारेखा कैसे खींची जा सकती है. हाथरस मामले का क्या? क्या मामले में मीडिया की भूमिका अहम नहीं है?’’ अदालत ने इस पर संकेत दिया कि जनहित याचिकाओं में केवल तर्कसंगत पत्रकारिता की जरूरत बताई गयी है.