Mumbai News: हाईकोर्ट ने कहा, 'हम यह समझने में असफल हैं कि क्या हम ऐसे राज्य में रहते हैं जहां कानून का शासन है या बाहुबल का शासन है.' कोर्ट ने कहा कि बोकाडवीरा गांव के सरपंच की ओर से दी गई धमकियों को लोकतांत्रिक देश में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि सिडको अधिकारी अपने वैध कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं.
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Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवी मुंबई में एक प्लॉट पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर सरकार की नगर नियोजन एजेंसी सिडको को फटका लगाई है. कोर्ट ने इस दौरान पूछा कि राज्य में कानून का शासन है या बाहुबल का. जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस कमल की बेंच ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में कहा कि नगर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) के अधिकारी अवैध निर्माण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करना चाहते. सिडको ने अदालत को बताया कि जब उन्होंने अवैध ढांचों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की कोशिश की तो बोकाडवीरा गांव के सरपंच ने उन्हें धमकी दी.
'कानून का राज स्थापित करना जरूरी'
इसपर बेंच ने कहा कि अधिकारी अपने वैध कर्तव्यों का निर्वहन करते समय पर्याप्त पुलिस सुरक्षा पाने के हकदार हैं और अवैधताओं को रोकना और कानून का शासन स्थापित करना प्राधिकारियों का कर्तव्य है.
हाईकोर्ट ने कहा, 'हम यह समझने में असफल हैं कि क्या हम ऐसे राज्य में रहते हैं जहां कानून का शासन है या बाहुबल का शासन है.' कोर्ट ने कहा कि बोकाडवीरा गांव के सरपंच की ओर से दी गई धमकियों को लोकतांत्रिक देश में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि सिडको अधिकारी अपने वैध कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
अदालत 2016 में एक दंपति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सिडको को नवी मुंबई में उनकी जमीन पर दीपक पाटिल नामक व्यक्ति के बनाए गए अवैध ढांचों को ध्वस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के स्वामित्व वाली 123 वर्ग मीटर भूमि पर अवैध संरचनाएं (दुकानें) बनाई गई हैं. अदालत ने सिडको को एक सप्ताह में याचिकाकर्ताओं की भूमि पर किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाने का निर्देश दिया.