दिल्लगी करना दिल पर पड़ सकता है भारी, जानिए कितना खतरनाक है `ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम`
Broken Heart Syndrome: सदमे या डर की स्थिति में दिल की नसों पर अचानक जोर पड़ता है, जिसकी वजह से वो कमजोर हो जाती हैं. Broken Heart Syndrome बीमारी की पहचान 1990 के दशक में जापान में की गई थी. पहले इसे Takotsubo Cardiomyopathy नाम दिया गया था.
नई दिल्ली: आजादी से एक साल पहले वर्ष 1946 में एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था शाहजहां . इस फिल्म में एक गाने के बोले थे कि जब दिल ही टूट गया तो हम जी के क्या करेंगे? 75 साल पुराने इस गाने के बोल आज की स्थिति पर बिल्कुल फिट बैठते हैं. एक नए शोध में पता चला है कि अगर आपका दिल टूटा है तो उससे आपको दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक भी हो सकता है. इसलिए आज हम आपको 'किल दिल' वाले खतरे से भी सावधान करेंगे.
दिल टूटने से भी पड़ सकता है दिल का दौरा
आपने अक्सर कविताओं में, शेरों शायरी में, फिल्मों में और निजी जीवन में भी दिल टूटने का अनुभव किया होगा. आपने उन दर्द भरे नगमों के बारे में भी सुना होगा, जो उन लोगों के लिए होते हैं, जिनका टूट जाता है और जो उदास होते हैं. लेकिन अब पता चला है कि दिल टूटने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है.
रिसर्च में सामने आई ये बात
इस बीमारी को Broken Heart Syndrome कहा जाता है. अमेरिका में ये मामले कोरोना वायरस की बीमारी के बाद से बढ़े हैं. जिसके बाद इस बीमारी पर रिसर्च की गई. इस रिसर्च के मुताबिक, Heart Break होने पर Heart Attack हो सकता है. इस रिसर्च में 2006 से 2017 के बीच रिपोर्ट किए गए Broken Heart Syndrome के 1 लाख 35 हजार मामलों की स्टडी की गई. इनमें से 88 प्रतिशत मामले महिलाओं के थे और ज्यादातर महिलाओं की उम्र 50 वर्ष से 70 वर्ष के बीच थी.
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अंजाने में भी दिल दुखाने से बचें
रिसर्च से साबित हुआ कि महिलाओं में Emotional Stress होने या दिल टूटने पर Heart Attack होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. इसीलिए अंजाने में भी किसी का दिल दुखाने से बचना चाहिए. अगर कोई बुरी खबर या ऐसी सूचना है जो किसी को देनी है तो उसे भी ऐसे कहना चाहिए जिससे सुनने वाले को कम से कम नुकसान पहुंचे.
मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि बात अगर संवेदनशील है, किसी का दिल दुखा सकती है, उसे सदमा लग सकता है तो ऐसी बात को मिलकर बताना चाहिए. फोन पर या मैसेज पर नहीं. ऐसा माना जाता है कि लिखी हुई बात, कही हुई बात से ज्यादा असर डालती है. वैसे तो हम चाहेंगे कि आप सब स्वस्थ रहें और दुखों से दूर रहें लेकिन अगर आप पर या आपके परिवार में किसी को ऐसे हालात से गुजरना पड़ता है तो आपको क्या करना चाहिए?
'दिल की सुनों' ये बात आपने बहुत सुनी होगी लेकिन क्या आप सच में अपने दिल की सुनते हैं? कोई बुरी खबर सुनी, कोई हादसा हुआ, किसी का साथ छूटा या फिर दिल टूटा, इमोशनल खेल में बेचारा दिल ही उलझता है लेकिन ये दिल्लगी दिल पर भारी पड़ सकती है. हार्ट अटैक की वजह बन सकती है. ऐसा एक नई रिसर्च में सामने आया है. जिसके मुताबिक अचानक कोई बुरी खबर या ऐसा हादसा हो जाए जिसके लिए इंसान पहले से तैयार ना हो तो वो Broken Heart Syndrome का शिकार हो सकता है. यानी दिल के मामले को हल्के में न लें.
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आमतौर पर हार्ट अटैक तब आता है जब दिल की खून पंप करने वाली नसें ब्लॉक हो जाती हैं. उनमें कैल्शियम या फैट जम जाता है और खून की सप्लाई दिल तक नहीं पहुंच पाती. लेकिन Broken Heart Syndrome में ऐसा होना जरूरी नहीं है. तो सबसे पहले आपको बताते हैं कि ये Broken Heart Syndrome होता क्या है?
किसी सदमे या तेज एक्सीडेंट या डर की स्थिति में दिल की नसों पर अचानक जोर पड़ता है. जिससे वो बहुत कमजोर हो जाती हैं. Broken Heart Syndrome, ये बीमारी 1990 के दशक में जापान में पहचान में आई थी. जापान में इसे Takotsubo Cardiomyopathy का नाम दिया गया था.
लेकिन Broken Heart Syndrome की स्थिति में कोई कैसे पहुंचता है यानी जब अचानक आप कोई बुरी खबर सुनते हैं या मानसिक तनाव में होते हैं तो वैज्ञानिक तौर पर दिल पर क्या गुजर रही होती है. वैज्ञानिक तथ्य ये भी है कि तनाव और मुश्किलें झेलने के मामले में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती हैं लेकिन अमेरिका हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी की मानें तो महिलाएं Broken Heart Syndrome का ज्यादा शिकार होती हैं.
रिसर्च के मुताबिक, 80 से 90 प्रतिशत मामलों में 50 वर्ष से 70 वर्ष के बीच की महिलाएं इसकी शिकार होती हैं. मीनोपॉज के दौरान हारमोनल बदलाव लेकिन ऐसा नहीं है कि दिल का ये मर्ज ठीक नहीं हो सकता. बस अपनों का साथ चाहिए. ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय कौल ने बताया कि ऐसे मरीज रिकवर हो सकते हैं. कुछ वक्त के लिए हम उन्हें दिल का मरीज ही मानते हैं. लेकिन उनका दिल फिर से मजबूत हो सकता है. ऐसे मामलों में परिवार वालों का और दोस्तों का साथ बहुत काम आता है.
कुल मिलाकर आपको अपने दिल पर अपने दिमाग को हावी नहीं होने देना है बल्कि दिमाग को इमोशनल स्ट्रेस से दूर रखना है ताकि दिल का दर्द कोई मर्ज न बनें.