कैग रिपोर्ट में खुलासा, आकाश मिसाइल के 30 फीसदी परीक्षण रहे नाकाम
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कैग रिपोर्ट में खुलासा, आकाश मिसाइल के 30 फीसदी परीक्षण रहे नाकाम

मिसाइल बनाने वाली बेंगलुरु की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड को इसको बनाने के एवज में 95 फीसदी भुगतान (करीब 3600 करोड़ रुपये) किया जा चुका है. भारतीय वायुसेना ने इस मामले पर कोई भी टिप्‍पणी करने से मना कर दिया है. रिपोर्ट में लिखा है कि परीक्षण के दौरान मिसाइल लक्ष्य से कम दूरी पर ही गिर गई, इसकी क्‍वालिटी कमजोर दिखी. इसके अलावा मिसाइल की कई महत्वपूर्ण इकाइयां खराब चल रही थीं.

मिसाइल की कई महत्वपूर्ण इकाइयां भी खराब चल रही थीं. (file pic)

नई दिल्‍ली : देश में निर्मित जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल 30 फीसदी बुनियादी परीक्षणों में फेल हो गई. यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में किया है. मिसाइल के परीक्षण अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच हुए थे. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि मिसाइलों की कमी के कारण देश युद्ध के दौरान एक जोखिम के दौर से गुजर सकता है. सीएजी की रिपोर्ट संसद को सौंपी जा चुकी है.

मिसाइल बनाने वाली बेंगलुरु की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड को इसको बनाने के एवज में 95 फीसदी भुगतान (करीब 3600 करोड़ रुपये) किया जा चुका है. भारतीय वायुसेना ने इस मामले पर कोई भी टिप्‍पणी करने से मना कर दिया है. रिपोर्ट में लिखा है कि परीक्षण के दौरान मिसाइल लक्ष्य से कम दूरी पर ही गिर गई, इसकी क्‍वालिटी कमजोर दिखी. इसके अलावा मिसाइल की कई महत्वपूर्ण इकाइयां खराब चल रही थीं.

छह चिन्हित स्थानों में से एक पर भी मिसाइल को इन्स्टॉल नहीं किया जा सका, रिपोर्ट में बताया गया है कि कॉन्‍ट्रैक्‍ट हुए सात साल का समय बीत चुका है. आकाश और इसके नए संस्करण आकाश एमके -2 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली का विकास 18 से 20 किलोमीटर की दूरी में दुश्मनों के ठिकानों पर निशाना साधने के लिए किया गया है.

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