यूपी-बिहार में नदियों में शव मिलने का सिलसिला जारी, NHRC ने केंद्र और राज्यों को नोटिस भेज मांगा जवाब
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यूपी-बिहार में नदियों में शव मिलने का सिलसिला जारी, NHRC ने केंद्र और राज्यों को नोटिस भेज मांगा जवाब

गंगा में लाश बहाए जाने के मामले पर कार्रवाई करते हुए NHRC ने केंद्र-उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा कि ये घटना समाज के लिए शर्मनाक है. 

यूपी-बिहार में नदियों में शव मिलने का सिलसिला जारी, NHRC ने केंद्र और राज्यों को नोटिस भेज मांगा जवाब

नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी (Ganga River) में कई लाशें मिलने की शिकायतों के बाद गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया. आयोग ने बयान में कहा, ‘NHRC दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को आज नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.’

यूपी-बिहार में मिली बहती हुई लाशें

उत्तर प्रदेश के बलिया (Balia) जिले के रहने वाले लोगों के मुताबिक नरही इलाके के उजियार, कुल्हड़िया और भरौली घाट पर कम से कम 52 लाशें बहती हुई दिखाई दी हैं. इसी तरह गंगा नदी में लाशों के बहने की खबर बिहार से भी मिली है. बयान में NHRC ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी जनता को जागरूक करने और गंगा नदी में अधजली या बिना जली लाशों को बहाने से रोकने में असफल हुए हैं.

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गंगा में शव बहाना दिशानिर्देशों का उल्लंघन

उल्लेखनीय है कि भारत कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से बुरी तरह से प्रभावित है और देशभर के श्मशान और कब्रिस्तान पर क्षमता से अधिक बोझ है. आयोग ने कहा, 'शवों को हमारी पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करना स्पष्ट रूप से जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.' आयोग ने बताया कि उसे 11 मई 2021 को मीडिया में आई खबरों के हवाले से शिकायत मिली और उसमें आशंका जताई गई कि नदी में बह रहे शव कोविड-19 संक्रमितों के हैं.

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घटना समाज के लिए शर्मनाक, होगी कार्रवाई

NHRC ने उल्लेख किया कि शिकायत में इंगित किया गया कि इस तरह से शवों को बहाए जाने से उन लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा जो दैनिक कार्यों के लिए गंगा नदी पर निर्भर हैं. आयोग ने कहा, 'इसमें (शिकायत) में आगे कहा गया कि अगर ये शव कोविड-19 संक्रमितों के नहीं भी हैं तो ऐसी घटना समाज के लिए शर्मनाक है और यहां तक कि मृतकों के मानवाधिकार का भी उल्लंघन है.'

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