CBI की बड़ी कार्रवाई, जम्मू-कश्मीर प्रोजेक्ट में 9000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच शुरू
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CBI की बड़ी कार्रवाई, जम्मू-कश्मीर प्रोजेक्ट में 9000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच शुरू

शिकायत में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अंदर एक ताकतवर लॉबी ने बोर्ड के विरोध को खारिज करते हुए रद्द टेंडर को फिर से आवंटित करने के लिए निगम को मजबूर किया. इसके बाद दोबारा आवंटन के खिलाफ डिसेंट नोट लिखने वाले एक वरिष्ठ नौकरशाह का तीन जनवरी, 2020 को तबादला कर दिया.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के सभी दिशानिर्देशों को दरकिनार करते हुए 9,000 करोड़ रुपये की जल विद्युत परियोजना के आवंटन की प्राथमिक जांच शुरू कर दी है. प्रस्तावित 1,540 मेगावाट की किरु जल विद्युत परियोजना को दो चरणों में पूरा होना है. प्रथम चरण की लागत 4,948.26 करोड़ रुपये और दूसरे चरण की लागत 4,287.59 करोड़ रुपये होगी.

  1. टेंडर रद्द होने के बाद दोबारा अवैध तरीके से आवंटन किया गया
  2. नौकरशाहों के दबाव में केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया
  3. सीबाआई टेंडर मूल्यांकन और दोबारा आवंटन से संबंधित रिकॉर्ड जब्त कर सकती है

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई जिस शिकायत की जांच कर रही है, उसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ शीर्ष नौकरशाहों के दबाव में चिनाब वैली पॉवर प्रोजेक्ट्स (सीवीपीपीएल) ने परियोजना का आवंटन नियमों और दिशानिर्देशों का गंभीर उल्लंघन करके किया गया.

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शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सीवीपीपीएल ने परियोजना का क्रियांवयन एक संयुक्त उद्यम कंपनी को आवंटित किया और आवंटन में केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया.

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सीवीपीपीएल के निदेशक मंडल ने खास कारणों से टेंडर प्रक्रिया रद्द कर दी थी. शिकायत में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अंदर एक ताकतवर लॉबी ने बोर्ड के विरोध को खारिज करते हुए रद्द टेंडर को फिर से आवंटित करने के लिए निगम को मजबूर किया. इसके बाद दोबारा आवंटन के खिलाफ डिसेंट नोट लिखने वाले एक वरिष्ठ नौकरशाह का तीन जनवरी, 2020 को तबादला कर दिया गया.

शिकायत में कहा गया है कि टेंडर प्रक्रिया रद्द किए जाने के बाद बोर्ड को इसे फिर से एक मैनुअल प्रक्रिया के जरिए आवंटित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. शिकायत में सीबीआई से अनुरोध किया गया है कि टेंडर मूल्यांकन और दोबारा आवंटन से संबंधित रिकॉर्ड जब्त किए जाएं ताकि उनके साथ छेड़छाड़ और उन्हें नष्ट होने से बचाया जा सके.

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