CBSE ने SC से कहा, चार सप्ताह में एआईपीएमटी 2015 परीक्षा फिर आयोजित करना असंभव
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CBSE ने SC से कहा, चार सप्ताह में एआईपीएमटी 2015 परीक्षा फिर आयोजित करना असंभव

उच्चतम न्यायालय बड़े स्तर पर कदाचार के मद्देनजर रद्द किए गए ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट 2015 को पुन: आयोजित कराने के लिए और अधिक समय मांगने संबंधी सीबीएसई की याचिका पर सुनवाई करने को आज तैयार हो गया।

CBSE ने SC से कहा, चार सप्ताह में एआईपीएमटी 2015 परीक्षा फिर आयोजित करना असंभव

नई दिल्ली : सीबीएसई ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट 2015 परीक्षा को चार सप्ताह के भीतर फिर से आयोजित करना उसके लिए ‘असंभव’ होगा। परीक्षा में बड़े पैमाने पर नकल के बाद इसे शीर्ष अदालत द्वारा रद्द कर दिया गया था।

सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार द्वारा यह मामला पेश किए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय किया। याचिका में शीर्ष अदालत से उसके 15 जून के आदेश पर फिर से विचार करने का आग्रह किया गया है, जिसमें बोर्ड को चार सप्ताह के भीतर एआईपीएमटी 2015 आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।

कुमार ने शीर्ष अदालत से कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर परीक्षा फिर से आयोजित करना असंभव है। उन्होंने कहा कि सात परीक्षाएं एक साथ आयोजित करने की जिम्मेदारी के कारण बोर्ड पर पहले से ही काम का काफी बोझ है और उसे एआईपीएमटी 2015 परीक्षा फिर से आयोजित करने के लिए कम से कम तीन महीने की जरूरत होगी। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 15 जून को एआईपीएमटी 2015 परीक्षा रद्द करने और चार सप्ताह के भीतर इसे फिर से आयोजित करने का आदेश दिया था।  

उच्चतम न्यायालय ने परीक्षा में बड़े पैमाने पर कदाचार और कई स्थानों पर छात्रों को परीक्षा हॉल में सवालों के जवाब मुहैया कराए जाने को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया था। इससे पहले न्यायालय ने 12 जून को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि यदि एक भी छात्र को अवैध तरीके से फायदा होता है तो परीक्षा की शुचिता प्रभावित होती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि इस तरह से सीबीएसई को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन पिछली घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई को इन चीजों पर संज्ञान लेना चाहिए।

हालांकि सीबीएसई ने परीक्षा रद्द किए जाने संबंधी दलील का विरोध करते हुए कहा था, ‘ 6.3 लाख छात्रों को फिर से परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है जबकि केवल 44 छात्र गलत तरीकों से फायदा उठाने में शामिल पाए गए हैं।’ इससे पहले, अवकाश पीठ ने हरियाणा पुलिस से इस मामले में ताजा रिपोर्ट पेश करने को कहा था, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि प्री मेडिकल परीक्षा में कथित अनियमितता से कितने छात्रों ने फायदा उठाया। पीठ ने पुलिस से जहां तक हो सके कथित लीक का फायदा उठाने वाले छात्रों की पहचान करने को कहा था।

सीबीएसई को एआईपीएमटी परीक्षा का परिणाम पांच जून को घोषित करना था, जिसमें छह लाख से अधिक छात्र शामिल हुए थे। न्यायालय ने कहा था, ‘बड़ा मुद्दा यह है कि परीक्षा की पवित्रता संदेह के दायरे में है। हम पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं कि फिर से परीक्षा लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’ पीठ ने कहा था कि वह जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करना चाहती।

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