केंद्र सरकार ने राज्यों को और आक्रामक होकर काम करने को कहा है ताकि हर स्थिति में सामुदायिक संक्रमण की स्थिति को रोका जा सके. सूबों को टेस्टिंग में तेजी लाने के साथ कंटेनमेंट जोन पर फोकस करने को कहा गया है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते कैबिनेट सेक्रेटरी ने शुक्रवार को 9 प्रदेशों की स्थिति को रिव्यू करने का फैसला किया. देश के इन 9 सूबों में पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, इसीलिए केंद्र सरकार ने सभी जगह सख्ती बरतने के साथ टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया है. इन प्रदेशों में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम शामिल हैं.
इन राज्यों में रोजाना हो रही टेस्टिंग में संक्रमण के एक्टिव मामले तेजी से बढ़े हैं इसीलिए केंद्र सरकार की ओर से मैनेजमेंट प्लान की समीक्षा की गई. बैठक की अध्यक्षता कैबिनेट सेक्रेटरी ने की जहां महामारी रोकने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग और संयुक्त भूमिका के जरिए हालात संभालने पर सहमति बनी. बैठक में सभी 9 प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिव मौजद थे. कैबिनेट सेक्रेटरी ने राज्यों की प्रतिक्रिया को लेकर विस्तृत पड़ताल की, वहीं राज्य सरकार के सभी जिम्मेदार अधिकारियों ने बीते दिनों अचानक बढ़ी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की तादाद को लेकर अनुभव साझा किए.
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इन सूबों को टेस्टिंग में तेजी लाने के साथ कंटेनमेंट जोन पर फोकस करने को कहा गया. वहीं चिंता उन क्षेत्रों पर भी जताई गई जहां अब तक कम टेस्टिंग हुई है. केंद्र सरकार ने राज्यों को और आक्रामक होकर काम करने को कहा है ताकि हर स्थिति में सामुदायिक संक्रमण की स्थिति को रोका जा सके.
कैबिनेट सेक्रेटरी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों के मुताबिक इन राज्यों के हर कंटेनमेंट जोन में सही दिशा और सख्ती से प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया. इस दौरान संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की पहचान और निगरानी पर भी चर्चा हुई ताकि संक्रमण की चेन को जल्द से जल्द तोड़ा जा सके.
कंटेनमेंट जोन के बाहर बफर जोन की सतत निगरानी पर जोर दिया गया ताकि किसी भी सूरत में संक्रमण को दोबोरा बढ़ने से रोका जा सके. राज्यों को इसी के साथ अपने यहां हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने को कहा गया. इस कड़ी में पूरे प्रदेश के हर जिले में बेड की संख्या बढ़ाने, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स का इंतजाम बढ़ाने को कहा गया है, वहीं चिकित्सा गुणवत्ता बढ़ाने पर भी चर्चा हुई.
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