Coronavirus के खिलाफ 'Surgical Strikes' करे केंद्र सरकार, सरकार ने देरी से फैसले लिए: बॉम्बे हाई कोर्ट
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Coronavirus के खिलाफ 'Surgical Strikes' करे केंद्र सरकार, सरकार ने देरी से फैसले लिए: बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court)  ने कहा, ‘कोरोना वायरस सबसे बड़ा दुश्मन है. हमें उसे खत्म करने की जरूरत है. जो कुछ निश्चित स्थानों और लोगों के भीतर है, सरकार का रुख सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसा होना चाहिए. लेकिन यहां संक्रमण वाहक के आपके पास आने को इंतजार हो रहा है.’

फाइल फोटो

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ( Bombay High Court)  ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटने के लिए केंद्र सरकार का रुख सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतजार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ (Surgical Strikes) करने जैसा होना चाहिए. आपको बता दें कि चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार का नया ‘घर के पास’ टीकाकरण कार्यक्रम केंद्र तक किसी संक्रमण वाहक के आने का इंतजार करने जैसा है.

  1. कोरोना वैक्सीनेशन पर जिम्मेदार संस्थाओं को नसीहत
  2. कोरोना पर सर्जिकल स्ट्राइक करे सरकार: हाई कोर्ट
  3. टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर पूछे गए हैं कई सवाल

सरकार को निर्देश

चीफ जस्टिस दत्ता ने कहा, ‘कोरोना वायरस हमारा सबसे बड़ा शत्रु है. हमें उसे खत्म करने की जरूरत है. यह शत्रु कुछ निश्चित स्थानों और कुछ लोगों के भीतर है, जो बाहर नहीं आ सकते. सरकार का रुख सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसा होना चाहिए. वहीं, आप सीमाओं पर खड़े होकर संक्रमण वाहक के आपके पास आने को इंतजार कर रहे हैं. आप दुश्मन के क्षेत्र में दाखिल ही नहीं हो रहे.’

फैसलों में हुई देरी

पीठ ने कहा कि सरकार व्यापक रूप से जनता के कल्याण के लिए फैसले कर रही थी, लेकिन उसने काफी देरी कर दी जिस कारण कई लोगों की जान चली गई. अदालत वकील धृति कपाड़िया और कुणाल तिवारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. 

याचिका में सरकार को 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, दिव्यांगों और ‘व्हीलचेयर’ आश्रित या बिस्तर से उठ ना सकने वाले लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

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केंद्र सरकार ने मंगलवार को अदालत से कहा था कि वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, ‘व्हीलचेयर’ आश्रित या बिस्तर से उठ ना सकने वाले लोगों का घर-घर जाकर टीकाकरण संभव नहीं है. हालांकि, उसने ऐसे लोगों के लिए 'घर के पास' टीकाकरण केंद्र शुरू करने का निर्णय किया है.

'हाई कोर्ट ने दिखाया रास्ता'

हाई कोर्ट ने केरल, जम्मू-कश्मीर, बिहार, ओडिशा और महाराष्ट्र के वसई-विरार जैसे कुछ नगर निगमों में घर-घर जाकर टीकाकरण करने के लिए चल रहे कार्यक्रम का बुधवार को उदाहरण दिया. अदालत ने कहा, ‘देश के अन्य राज्यों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? केंद्र सरकार घर-घर जाकर टीकाकरण करने को इच्छुक राज्यों और नगर निगमों को रोक नहीं सकती लेकिन फिर भी वे केंद्र की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं.’

'पश्चिम को ही क्यों इंतजार करना पड़ रहा है'

अदालत ने यह भी पूछा कि केवल बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को ही क्यों घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम के लिए केंद्र की इजाजत का इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि उत्तर, दक्षिण और पूर्व में कई राज्य बिना अनुमति के यह कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं. चीफ जस्टिस दत्ता ने ये भी कहा, ‘केवल पश्चिम को ही क्यों इंतजार करना पड़ रहा है?’ बेंच ने कहा कि BMC भी यह कहकर कोर्ट की उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रही है कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू करने को तैयार है, अगर केंद्र सरकार इसकी अनुमति दे.

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नेताओं को घर पर टीके किसके आदेश से लगे?

अदालत ने कहा, ‘हम BMC की हमेशा तारीफ करते रहे हैं और कहते आए हैं कि वह अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श है. ऐसे में मेरा BMC से सवाल ये है कि अभियान की शुरुआत में, कई वरिष्ठ राजनेताओं को मुंबई में उनके घर पर टीके लगाए गए. ये किसने किया? BMC या राज्य सरकार? किसी को तो इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी.’

11 जून को अगली सुनवाई

पीठ ने बीएमसी के वकील अनिल सखारे और राज्य की ओर से पेश हुई अतिरिक्त सरकारी वकील गीता शास्त्री को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि किस प्राधिकरण ने राजनेताओं को उनके आवास पर टीका लगाए. अदालत ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह को भी मामले पर एक बार फिर विचार करने का निर्देश दिया. मामले में अगली सुनवाई 11 जून को होगी.

(इनपुट भाषा से)

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