वक्फ कानून पर नहीं लगाई जा सकती रोक...मोदी सरकार ने क्यों सुप्रीम कोर्ट से कही ये बात?
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वक्फ कानून पर नहीं लगाई जा सकती रोक...मोदी सरकार ने क्यों सुप्रीम कोर्ट से कही ये बात?

Waqf Act 2025: वक्फ संसोधन बिल को लेकर देश भर में घमासान मचा हुआ है. ये बिल सुप्रीम कोर्ट में है, 5 मई को इस पर अगली सुनवाई होगी. इसी बीच केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून की वैधता को देखते हुए उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. 

वक्फ कानून पर नहीं लगाई जा सकती रोक...मोदी सरकार ने क्यों सुप्रीम कोर्ट से कही ये बात?

Supreme Court: वक्फ संसोधन बिल को लेकर देश भर में घमासान मचा हुआ है. इसे लेकर देश के कई शहरों में प्रदर्शन हुआ. इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जिसकी सुनवाई चल रही है. इसे लेकर सुप्रीम पर बीते दिन बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने टिप्पणी की थी. केंद्र और SC में तकरार छिड़ी है. अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून की वैधता को देखते हुए उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. इसके अलावा क्या कुछ कहा आइए जानते हैं. 

एक जवाबी हलफनामे में केंद्र सरकार ने कानून का बचाव करते हुए कहा कि ये चौंकाने वाली बात है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि हुई है. साथ ही साथ बताया कि मुगल काल से पहले, आजादी से पहले और आजादी के बाद के दौर में भारत में कुल 18,29,163.896 एकड़ जमीन पर वक्फ बनाए गए थे. बता दें कि हलफनामा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी शेख मोहिद्दीन द्वारा दायर किया गया था. 

केंद्र ने आगे कहा कि न्यायालय मामलों की सुनवाई के दौरान इन चुनौतियों की जांच करेगा. हालांकि याचिकाओं के असफल होने की स्थिति में ऐसे आदेश के परिणामों के बारे में जाने बिना पूरी तरह रोक लगाना, विशेष रूप से ऐसे कानूनों की वैधता की धारणा के संदर्भ में, अनावश्यक होगा. हलफनामे में ये भी कहा गया है कि अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं इस झूठे आधार पर आगे बढ़ीं हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेते हैं.

इसमें ये भी कहा गया है कि न्यायालय विधायी क्षमता और संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर कानून की समीक्षा कर सकता है. सरकार ने कहा कि संशोधन प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्यों वाले संसदीय पैनल द्वारा बहुत व्यापक, गहन और विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद किए गए थे. बता दें कि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ अंतरिम आदेश पारित करने के मामले पर 5 मई को सुनवाई करेगी.

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