केंद्र सरकार के पास वायु प्रदूषण/कार्बन उत्सर्जन से हुई मौतों के आंकड़ें उपलब्ध नहीं
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केंद्र सरकार के पास वायु प्रदूषण/कार्बन उत्सर्जन से हुई मौतों के आंकड़ें उपलब्ध नहीं

जेडीयू सदस्य रामनाथ ठाकुर ने शहरों में वाहन जनित प्रदूषण और अन्य वजहों से अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन के कारण होने वाली मौतों का ब्यौरा और इससे निपटने के लिये किये जा रहे उपायों की जानकारी मांगी थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने स्वीकार किया कि अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन से श्वसन संबंधी बीमारियों और अन्य रोगों में इजाफा हो रहा है हालांकि इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि देश में ऐसे कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं जिनसे यह साबित होता हो कि केवल वायु प्रदूषण या कार्बन उत्सर्जन का किसी बीमारी या उससे हुई मौत से प्रत्यक्ष परस्पर संबंध है. जेडीयू सदस्य रामनाथ ठाकुर ने शहरों में वाहन जनित प्रदूषण और अन्य वजहों से अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन के कारण होने वाली मौतों का ब्यौरा और इससे निपटने के लिये किये जा रहे उपायों की जानकारी मांगी थी. 

सरकार बना रही है राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
इसके जवाब में डॉ.. हर्षवर्धन ने दिसंबर 2017 में लैनसेट जर्नल में प्रकाशित एक लेख के हवाले से बताया कि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जनित बीमारियों की वजह से मानव जीवन काल में हृास (डीएएलवाई) के लिये पांच प्रमुख जोखिम पाये गये. इनमें शिशु एवं मातृ कुपोषण, वायु प्रदूषण, दूषित आहार, उच्च रक्तचाप और उच्च फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोस का खतरा शामिल है. हालांकि भारत में 1990 से 2016 तक डीएलएवाई में 23.6 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन से हुयी मौत के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि श्वसन संबंधी बीमारियों और अन्य रोगों को बढ़ाने में वायु प्रदूषण के कारक होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. हर्षवर्धन ने बताया कि सरकार इस स्थिति से निपटने के लिये दीर्घकालिक समयबद्ध राष्ट्रीय रणनीति के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम बना रही है.

(इनपुट भाषा से) 

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