नई दिल्ली: केंद्र सरकार की 20,000 करोड़ रुपये लागत की प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा (Central Vista) परियोजना मामले में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल कर परियोजना की जरूरत की दुहाई देते हुए इसका बचाव किया. केंद्र सरकार ने कहा कि लगभग 100 साल पुराना संसद भवन अपनी उम्र के संकेत दे रहा है. ये इमारत कई सुरक्षा मुद्दों का सामना कर रही है जिसमें गंभीर आग और भूकंप जैसी मानव निर्मित और प्राकृतिक सुरक्षा भी शामिल है.


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केंद्र ने कहा कि इन चुनौतियों को देखते हुए संसद के एक नए आधुनिक भवन के निर्माण की आवश्यकता है. केंद्र ने कहा कि वर्तमान संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था और 1937 में पूरा हुआ. यह लगभग 100 साल पुरानी है और एक हेरिटेज इमारतों में ग्रेड-आई दर्जे की बिल्डिंग है. पिछले कई वर्षों में संसदीय गतिविधियों में कई गुना वृद्धि हुई है. इसलिए, यह संकट और अधिक उपयोगिता के संकेत दे रहा है.


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केंद्र ने कहा कि संसद भवन की इमारत जगह की कमी के साथ-साथ सुविधाओं और तकनीकी मामलों में वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है. अदालत को केंद्र सरकार ने बताया कि अभी 51 से ज्यादा मंत्रालय अलग-अलग जगह हैं. कई के विभाग किराए के मकानों में चल रहे हैं. हजार करोड़ रुपये सालाना तो उनका किराया ही जाता है. ऐसे में एक ही जगह सारे मंत्रालय, सचिवालय हो जाएं तो बहुत बढ़िया होगा. इसे देखते हुए सरकार संसद भवन की नई इमारत बनाना चाहती है. सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पुरानी इमारत 100 साल पुरानी हो चुकी है, ऐसे में कई खतरे भी हमेशा बने रहते हैं.


बता दें कि सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका फिर से विकास करना चाह रही है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD पहले भी हलफनामा देकर कह चुका है कि संसद की मौजूदा इमारत सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरती है.


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