6 महीने पहले कहा गया- NO, अब छगन भुजबल को कैसे मिली कैबिनेट में एंट्री?
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6 महीने पहले कहा गया- NO, अब छगन भुजबल को कैसे मिली कैबिनेट में एंट्री?

Maharashtra Cabinet Expansion: वरिष्ठ एनसीपी नेता और समता परिषद के संस्थापक छगन भुजबल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल का हिस्सा बन गए हैं. 

6 महीने पहले कहा गया- NO, अब छगन भुजबल को कैसे मिली कैबिनेट में एंट्री?

Maharashtra Politics: पिछले साल नवंबर में महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्‍व में सरकार बनी तो किसी ने नहीं सोचा था कि एनसीपी नेता छगन भुजबल को कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी. 1991 से लगातार किसी न किसी रूप में कैबिनेट मंत्री रहे भुजबल 1999-2003 के बीच डिप्‍टी सीएम भी रहे. जब भुजबल को मंत्री पद नहीं मिला तो आहत भुजबल ने पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी नाराजगी खुले तौर पर जाहिर की थी और कहा था कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के ओबीसी मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने के बावजूद उनके बारे में विचार नहीं किया गया. इसके बाद उन्होंने पार्टी के कई कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी. इसके अलावा, दो बार राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में उनके नामांकन पर विचार न किए जाने से भी वे नाराज थे.

उनको कैबिनेट में जगह नहीं दिए जाने को लेकर उस वक्‍त ये खबरें आई थीं कि उन्‍होंने चुनावों में जिस तरह ओबीसी आरक्षण को लेकर पैरोकारी की थी वो कहीं न कहीं मराठा आरक्षण के समर्थकों के विरोध में थी. इसलिए मराठा हितों की बात करने वाली एनसीपी के नेता अजित पवार ने उनको कैबिनेट में जगह नहीं देने का फैसला किया.  

अब भुजबल को क्‍यों मिली एंट्री?
 एनसीपी को इस वक्‍त मंत्रिमंडल में एक मजबूत और दमदार ओबीसी चेहरे की जरूरत थी. खासकर तब जब एक अन्य ओबीसी नेता धनंजय मुंडे को मार्च में राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बीड के सरपंच संतोष देशमुख की नृशंस हत्या के सिलसिले में इस्तीफा देना पड़ा था. मुंडे के पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग था और उनके जाने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसे संभाला.

भुजबल का शामिल होना एनसीपी के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने में स्थानीय और नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है. मराठा आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ एक बड़े संघर्ष में ओबीसी आरक्षण की सुरक्षा के लिए वे सबसे आगे रहे हैं. इसके अलावा, भुजबल जाति आधारित जनगणना के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसे केंद्र ने हाल ही में मंजूरी दी है.

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अंत भला सो सब भला
मंत्री पद की शपथ लेने के बाद भुजबल संतुष्‍ट दिखे. उन्‍होंने कहा कि अंत भला सो सब भला. समारोह के बाद भुजबल ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, दोनों उपमुख्यमंत्रियों के साथ-साथ सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल का भी आभार व्यक्त करता हूं. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी आभार व्यक्त करता हूं. इसके साथ ही मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के सभी लोगों, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों, समता परिषद के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का भी आभार व्यक्त करता हूं. मैं उन सभी का भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने अब तक मुझे प्यार और स्नेह दिया है."

भुजबल को खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग मिलने की उम्मीद है, उन्होंने इससे पहले इस विभाग की जिम्मेदारी उद्धव ठाकरे और फिर एकनाथ शिंदे (2019-24) के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों में उठाई थी.

भुजबल ने 1960 के दशक में बाला साहेब ठाकरे के साथ जुड़कर शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया था. बाद में शरद पवार के इशारे पर 16 विधायकों के साथ शिवसेना छोड़कर महाराष्‍ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर किया था. जब शरद पवार ने एनसीपी का गठन किया तब से लेकर 2023 तक वो उनके साथ रहे लेकिन जब अजित पवार के नेतृत्‍व में एनसीपी दो भागों में टूटी तो वो अजित गुट के साथ चले गए. उनके बारे में कहा जाता है कि वो आज भी शरद पवार के करीबी हैं और एनसीपी के दोनों हिस्‍सों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं.

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