DNA Analysis: वेज मोमोज मंगवाने पर नॉन वेज मोमोज भेजे जाने के ऐसे ही एक मामले में कंप्लेन करने वाले कंज्यूमर का मोय-मोय हो गया है. कंज्यूमर की शिकायत है कि वे शुद्ध शाकाहारी हैं फिर भी रेस्टोरेंट ने उन्हें नॉनवेज मोमोज परोसा. इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं इसलिए मुआवजे के तौर पर उन्हें रेस्टोरेंट से 6 लाख रुपए दिलाए जाएं.
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DNA Analysis: हमारा अगला विश्लेषण, विशेषकर शाकाहारियों के लिए है. कई बार मान्यताओं से 'मोह-मोह के धागे' इतने कस कर बंधे होते हैं कि हमें 'मोय-मोय' से होकर गुजरना पड़ जाता है. मोय-मोय यानी, रिजल्ट हमारे फेवर में नहीं जाता. वेज मोमोज मंगवाने पर नॉन वेज मोमोज भेजे जाने के ऐसे ही एक मामले में कंप्लेन करने वाले कंज्यूमर का मोय-मोय हो गया है. कंज्यूमर की शिकायत है कि वे शुद्ध शाकाहारी हैं फिर भी रेस्टोरेंट ने उन्हें नॉनवेज मोमोज परोसा. इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं इसलिए मुआवजे के तौर पर उन्हें रेस्टोरेंट से 6 लाख रुपए दिलाए जाएं. कंज्यूमर फोरम ने उनके कंप्लेन को खारिज कर दिया.
कंज्यूमर फोरम ने कहा कि अगर ऐसा था तो उन्होंने शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट से खाना क्यों नहीं मंगवाया? फोरम ने सुझाव दिया कि अगर मांसाहारी खाने से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, तो उन्हें ऐसे रेस्टोरेंट में खाने का ऑर्डर देने से बचना चाहिए जहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के खाने परोसे जाते हैं. मामला मुंबई के सायन इलाके का है. 19 दिसंबर 2020 को एक मोमो आउटलेट से दो लोगों ने सॉफ्ट ड्रिंक के साथ स्टीम्ड 'दार्जिलिंग मोमो कॉम्बो' का ऑर्डर दिया. रेस्टोरेंट ने उन्हें चिकन मोमोज परोस दिया इस पर ये दोनों लोग कंज्यूमर फोरम में चले गए और ये शिकायत कर दी कि वेज मोमोज का ऑर्डर देने के बावजूद उन्हें चिकन मोमोज परोसा गया है इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. इसलिए बदले में दोनों को 3-3 लाख यानी कुल 6 लाख की रकम मुआवजे के तौर पर दिए जाएं.
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— Zee News (@ZeeNews) June 9, 2025
दूसरी तरफ रेस्टोरेंट ओनर की दलील है कि ग्राहक ने नॉनवेज मोमोज का ही ऑर्डर दिया था. डिस्प्ले बोर्ड में साफ लिखा है कि कौन सा डिश वेज है और कौन सा नॉनवेज रेस्टोरेंट के बिल से भी यह बात साबित होती है फिर भी ग्राहकों का खयाल रखते हुए उनसे पैसे नहीं लिए गए. अलग से 1200 रुपए का वाउचर भी ऑफर किया गया लेकिन ग्राहक इससे संतुष्ट नहीं हुए. वे कंज्यूमर के हित की सुरक्षा की बात दोहराते रहे जबकि रेस्टोरेंट ओनर का कहना है कि रिफंड के बाद ग्राहक के हित की बात बेमानी है. आखिर में इस मामले को खारिज करते हुए कंज्यूमर फोरम ने कहा कि एक समझदार शख्स को खाने से पहले वेज-नॉनवेज का फर्क समझ में आना चाहिए. शिकायतकर्ता रेस्टोरेंट की ओर से हुई गलती को साबित करने में कामयाब नहीं हो सके हैं.