बीजिंग: चीन (China) में मंगोलों के आक्रमण से बचने के लिए दुनिया की सबसे लंबी दीवार बनाई गई थी. जिसे आज दुनिया के 7 आश्चर्यों में से एक माना जाता है. लेकिन चीन में एक ओर भी रहस्यमय दीवार है. जिसके बारे में बाहर की दुनिया को बहुत कम पता है. खास बात ये है कि Communist Party of China (CCP) भी नहीं चाहती कि उसकी इस दूसरी रहस्यमय दीवार के बारे में दुनिया को ज्यादा पता चले. 


सूचनाओं को सेंसर करती है चीन की Great Firewall


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चीन की इस दूसरी रहस्यमय दीवार का नाम है Great Firewall (GFW). चीन में इंटरनेट से जुड़े कड़े कानूनों और दूसरे देशों के इंटरनेट संपर्क को रोकने की तकनीक Great Firewall (GFW) कहा जाता है. दरअसल यह एक आभासी दीवार का नाम है.  इसी Great Firewall के जरिए चीन सरकार यह तय करती है कि उनके देश के लोग इंटरनेट में क्या देखें और क्या नहीं. इसी आभासी दीवार का इस्तेमाल करके चीन ने फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया नेटवर्कों को भी बरसों से बाहर रोक रखा है. 


अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर सूचना देता है चीन


सूत्रों के मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इसी Great Firewall का इस्तेमाल करके सूचनाओं को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर फेक न्यूज और गलत जानकारी के रूप में चीनी लोगों के सामने पेश करती है. चूंकि चीन ने बाहर से आने वाली सूचनाओं पर सेंसरशिप लगा रखी है. ऐसे में चीनी लोगों के सामने CCP की ओर से परोसी गई गलत जानकारियों को ही सच मानने के अलावा कोई और चारा नहीं रहता. 


Sixth Tone के पूर्व चीफ एडिटर  Wei Xing ने कहा कि चीन ने अपने देश और बाहरी दुनिया के समाचारों के गैप को भरने के लिए नकली समाचार मशीनरी का निर्माण कर दिया है. ऐसे में चीन के लोग केवल वही देख-पढ़ पाते हैं, जो चीन उन्हें दिखाना-पढ़ाना चाहता है. 
 
मुक्त सूचनाओं को अपने लिए खतरा मानती है CCP


पिछले कई दशकों से CCP चीन पर शासन कर रही है और वहां की सत्ता पर उसका एकाधिकार है. वहीं किसी भी कीमत पर चीन में अपनी शक्ति के एकाधिकार को बनाए रखना चाहती है. उसे लगता है कि यदि चीन में इंटरनेट सेंसरशिप खत्म की गई तो लोगों तक देश-दुनिया की सूचनाओं की पहुंच बढ़ जाएगी. ऐसे में चीन में CCP की सत्ता को खतरा हो सकता है. यही कारण है कि चीन सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश में लगी रहती है कि चीन के लोग उसकी ओर से फैलाए प्रोपेगंडा और फेक न्यूज को असली सूचनाओं  से क्रॉस चेक न कर सकें. 


सरकारी मीडिया के जरिए अपना एजेंडा बढ़ा रही है CCP


जानकारों का कहना है कि CCP ने हमेशा से मीडिया को अपने राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने का एक जरिया माना है. चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी Litch न्यूज़, शंघाई स्थित द पेपर, सदर्न वीकली जैसे ऑनलाइन मीडिया पोर्टल्स और उनके जैसे अन्य पोर्टलों के बारे में चिंतित रहा है क्योंकि ये प्लेटफ़ॉर्म सिन्हुआ और CCTV की तरह CCP से सीधे नियंत्रित और वित्त पोषित नहीं हैं. ऑस्ट्रेलिया के Strategic Policy Institute के अनुसार, शी जिनपिंग चीनी लोगों के बीच आक्रामक राष्ट्रवाद को बढ़ाने के लिए 'संघर्ष ’की विचारधारा का उपयोग कर रहे हैं. यह अब उनके शासन का एक केंद्रीय हिस्सा बन गया है.  इसके लिए उनके नेतृत्व में CCP पश्चिम के कार्यों की लगातार कड़ी आलोचना कर रही है. 


जर्मन एक्सपर्ट की रिपोर्ट को CCP ने अपने फेवर में दिखाया


इसका एक उदारण पिछले दिनों तब सामने आया, जब चीन ने जर्मन मेडिकल एक्सपर्ट Alexander Kekule की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया कि कोरोना वायरस चीन के वुहान में उत्पन्न नहीं हुआ. CCP ने चीन के सभी प्रसार माध्यमों के जरिए लोगों तक यह बात पहुंचाने की कोशिश की कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के बाहर हुई है. जब इस बात की जानकारी  Alexander Kekule को हुई तो वे हैरान रह गए. उन्होंने कहा कि चीन सरकार उनकी रिपोर्ट की गलत व्याख्या कर रही है. कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन में ही हुई और चीन सरकार इसे छुपाने में लगी है. 


चीन के लोग दूसरे देशों की खबरें जानना चाहते हैं


चीन का पिछले कुछ सालों से दूसरे देशों के साथ तनाव तेजी से बढ़ा है. ऐसे में चीन के लोग जानना चाहते हैं कि असल खबर क्या है. Sixth Tone वेबसाइट की ओर से 2019 में चीन के 10 शहरों में किए गए सर्वे में पता चला कि वहां के 99 प्रतिशत लोगों ने खबरों की सच्चाई जानने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया. वहीं है 75 प्रतिशत ने WeChat ग्रुप, 20 प्रतिशत ने Weibo ऐप से जानकारी हासिल की. 


अध्ययन में यह भी पता चला है कि 6.5 प्रतिशत लोग सूचनाओं के लिए टीवी और 1 प्रतिशत लोग अखबारों का प्रयोग करते हैं. इनमें से अधिकतर संचार माध्यमों पर चीन सरकार GFW के जरिए नियंत्रण रखती है. ऐसे में लोगों तक वही सूचना पहुंचती है, जिसे चीन सरकार उन तक पहुंचाना चाहती है और बाकी जानकारियां हमेशा के लिए छुपा ली जाती हैं. 


हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को चीन ने दंगा बताया


CCP की Great Firewall (GFW) का एक ओर उदाहरण पिछले दिनों तब दिखाई दिया. जब हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थकों के प्रदर्शनों को उसने ‘ISIS’ मेंबर और ‘cockroaches’ कहकर पुकारा. उसके इशारे पर चीन के सभी मीडिया संस्थानों ने भी उन्हें इसी नामों से संबोधित किया. फेसबुक के साइबर सुरक्षा नीति के प्रमुख Nathaniel Gleicher ने 19 अगस्त 2019 को लिखे एक ब्लॉग में कहा कि चीन ने गलत सूचनाएं फैलाने के लिए फेसबुक में भी सेंध लगाई थी. उसने फेसबुक पर ऐसे पेज बना रखे थे, जिनके जरिए दुष्प्रचार किया जाता था. इस रिपोर्ट के बाद फेसबुक ने चीन की ओर से बनाए गए सात पेज, तीन समूह और पांच उपयोगकर्ता खातों को हटा दिया. 


चीनी मीडिया के कवरेज को पत्रकारिता नहीं कहा जा सकता


हॉन्ग कॉन्ग के चीनी विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर Fang Kecheng ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के चीनी मीडिया के कवरेज को पत्रकारिता नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह शुद्ध प्रोपेगंडा था और सरकारी मीडिया जरूरी सूचनाओं को CCP की नीतियों के अनुसार बदलकर लोगों के सामने पेश कर रहा था. चीनी मीडिया हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को नियमित रूप से दंगा बता रहा था और उनमें भाग लेने वालों को 'कट्टरपंथी' और 'ठग' कहकर चित्रित कर रहा था. 


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Great Firewall के जरिए सत्ता बचा रही है CCP


CCP ने चीनी लोगों पर पूरी तरह से सत्ता बनाए रखने की इच्छा जताई है. उसका मानना है कि आम लोगों को जानकारी तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने से उसका एकाधिकार खतरे में पड़ जाएगा. यह कारण है कि वह Great Firewall का इस्तेमाल करके चीनी लोगों को अंधेरे में रखना चाहती है और उन्हें बाकी दुनिया से काट देना चाहती है. इन खुलासों से यह  उजागर हुआ है कि CCP न केवल दुनिया में दुष्प्रचार अभियान चल रही है बल्कि अपने लोगों को भी खबरों से बेखबर रखने के काम में लगी है. जिससे उसके घरेलू अत्याचारों के किस्सा दुनिया के सामने न आ सके. 


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