Operation Sindoor: पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन न केवल उसके हर गुनाह पर पर्दा डालता रहता है, बल्कि भारत जब पाकिस्तान को सबक सिखाता है तो पर्दे के पीछे चीन अपने करीबी मुल्क की मदद भी करता है.
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Operation Sindoor: पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और फिर उसके 11 एयरबेस को तबाह कर दिया था. चार दिनों तक चली सैन्य कार्रवाई के दौरान पाकिस्तान का दोस्त चीन खुलकर भले ही सामने न आया हो, लेकिन पर्दे के पीछे वो अपनी चालें चल रहा था और अपने दोस्त की सैन्य मदद कर रहा था.
एयर डिफेंस सिस्टम और सैटेलाइट तस्वीरों में मदद
रक्षा मंत्रालय में एक शोध समूह के अनुसार, चीन ने युद्ध के दौरान पाकिस्तान को एयर डिफेंस सिस्टम और सैटेलाइट तस्वीरों को लेकर मदद की थी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. इसमें कहा गया है कि चीन ने पाकिस्तान को उसके रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को सुधारने में मदद की ताकि वो भारत के सैन्य ठिकानों की सटीक लोकेशन जान सके. उसने 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को उसके सैटेलाइट को भारत को ओर फोकस करने में सहायता की और महत्वपूर्ण जानकारी भी पाकिस्तान को मुहैया कराई.
चीनी हथियारों का इस्तेमाल
चीन के बने लड़ाकू विमानों का पाकिस्तान सैन्य संघर्ष में इस्तेमाल कर रहा था. यह भी कहा जा रहा है कि उसने चीन निर्मित पीएल-15 मिसाइलों का भी इस्तेमाल हमले में किया. भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के 11 एयरबेस को ताबड़तोड़ मिसाइल हमलों से तबाह कर दिया था.
थिंक टैंक ने किया खुलासा
नई दिल्ली में सेंटर फॉर ज्वाइंट वॉरफेयर स्टडीज के महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान को उसके रडार और रक्षा कवच प्रणाली को संतुलित करने में मदद की ताकि वो भारतीय सैनिकों और हथियारों की तैनाती का पता लगा सके. उसने पाकिस्तान को उसके सैटेलाइट कवरेज को भी सही करने में सहायता की ताकि पहलगाम हमले के बाद वो भारत की संभावित कार्रवाई का पता लगा सके. चीन ने ऐसा इसलिए किया ताकि पाकिस्तान अपने एयर डिफेंस रडार सिस्टम को बेहतर जगह तैनात कर सके और किसी भी हवाई हमले की उसे जानकारी मिल सके.
भारत सरकार ने सार्वजनिक तौर पर इस संघर्ष में चीन की भूमिका पर बात नहीं की है. लेकिन पाकिस्तान खुद डींगे हांकता रहा है कि उसने चीन निर्मित हथियारों का इस्तेमाल किया है. यह बताता है कि चीन न केवल उसे हथियार मुहैया करा रहा है, बल्कि उसे युद्ध के दौरान रियल टाइम लॉजिस्टिक्स, टेक्निकल और इंटेलीजेंस सपोर्ट भी दे रहा था.
आतंकियों के आकाओं को बचाने की नीति
चीन संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक एजेंसियों में लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के टॉप कमांडरों को प्रतिबंधित सूची में डालने के प्रस्तावों का भी विरोध करता रहा है. यूएन में पाकिस्तान के खिलाफ आए प्रस्तावों पर भी वीटो लगाता रहा है.
पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त
आतंकवादी संगठनों को मदद को लेकर पाकिस्तान पर जब फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स की संदिग्धों की सूची में डालने का प्रयास किया गया तब-तब वो अपने दोस्त की मदद के लिए बेशर्मी से आगे आया. आईएमएफ से लेकर वर्ल्ड बैंक तक वो पाकिस्तान को आर्थिक मदद के लिए पैरवी करता रहा है. पहलगाम आतंकी हमले के वक्त भी उसने चुप्पी साधे रखी और आतंकवादी संगठनों या पाकिस्तान की निंदा नहीं की.