चीन की चाल : भारत को घेरने के लिए PAK के 'ग्वादर पोर्ट' पर तैनात कर रहा है परमाणु पनडुब्बी
Advertisement

चीन की चाल : भारत को घेरने के लिए PAK के 'ग्वादर पोर्ट' पर तैनात कर रहा है परमाणु पनडुब्बी

बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट में भारत और पाकिस्तान की जल सीमाएं लगती हैं. पाकिस्तान की सीमा में चीन के अतिक्रमण से भारत की चिंता बढ़ गई है. 

ग्वादर पोर्ट पर चीन की घुसपैठ भारत के लिए चिंता का विषय है (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली : चीन लगातार अरब सागर में घुसपैठ करता जा रहा है. चीन द्वारा पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बी तैनात कर रहा है. बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट में भारत और पाकिस्तान की जल सीमाएं लगती हैं. पाकिस्तान की सीमा में चीन के अतिक्रमण से भारत की चिंता बढ़ गई है. कारोबारी महत्व के इस बंदरगाह में सैन्य गतिविधियां किसी लिहाज से भारत के हित में नहीं हैं. 

  1. ग्वादर पोर्ट पर चीन कर रहा है घुसपैठ
  2. पोर्ट पर परमाणु पनडुब्बी की तैनाती
  3. सैन्य खुफिया एजेंसी ने दी थी चेतावनी

चीनी अधिकारियों का पाकिस्तान दौरा
रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन ग्वादर बंदरगाह पर अपनी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चीन के एक उच्च अधिकारियों का एक दल पाकिस्तान गया था. अधिकारियों के दौरे का मकसद पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ग्‍वादर पोर्ट पर जल्‍द से जल्‍द परमाणु पनडुब्‍बी को ऑपरेशन में लाना चाहती है. चीन की योजना यहां तीन परमाणु पनडुब्बी तैनात करने की है. 

पाकिस्तान को दिए दो पोत
अभी हाल ही में एक रक्षा सौदे के तहत चीन ने व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी नौसेना को दो युद्धक जहाज सौंपे थे. पाकिस्तान इस जहाजों के जरिए ग्वादर बंदरगाह के साथ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) की सुरक्षा करेगा. ग्वादर बंदरगाह पाकिस्तान से विवादित इलाके बलूचिस्तान में पड़ता है. इस बंदरगाह को सीपेक (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) योजना के तहत पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

भारत पर परमाणु हमला करने की सूरत में ज़्यादा नुकसान पाकिस्तान को ही उठाना पड़ेगा

चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए गए युद्ध पोतों का नाम ‘हिंगोल’ और ‘बासोल’ है. परमाणु ऊर्जा से संचालित होने वाली पनडुब्बियों को परमाणु पनडुब्बी कहा जाता है. यह पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती हैं. इन्हें ईंधन के लिए जमीन पर आने की जरूरत नहीं होती है. बीजिंग ने हाल ही में अटकलों को खारिज कर दिया था कि वह ईरान की सीमा के निकट जिवानी पोर्ट में एक बंदरगाह स्थापित कर रहा है. यह बंदरगाह विशेष रूप से चीनी युद्धपोतों के लिए था.

fallback
ग्वादर बंदरगाह चीन की व्यापारिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं

स्कॉर्पिन श्रेणी की सबसे खूंखार पनडुब्‍बी ‘INS कलवरी’ राष्ट्र को समर्पित

VLF पर शुरू किया काम
रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि पाकिस्तानी नौसेना सामरिक पनडुब्बी संचार के लिए एक वीएलएफ स्टेशन का निर्माण कर रही है. वीएलएफ यानी बहुत कम फ़्रिक्वेंसी स्टेशन, गहरे समुद्र में संचालित पनडुब्बियों के साथ एकतरफा संचार स्थापित करते हैं. पनडुब्बी संचार ज्यादातर समय एक तरफा ही होता है, क्योंकि एक पनडुब्बी कहां है, यह पता लगाना मुश्किल होता है.

समंदर में भारतीय नौसेना की ताक़त, स्वदेशी स्कॉर्पिन पनडुब्बी ने फायर किया टॉरपीडो

इस काम में चीन भी सिविल कामों में पाकिस्तानी नौसेना की मदद कर रहा है. इसके तहत 205 फुट का एंटीना टॉवर, जमीन के अंदर वीएलएफ बिल्डिंग और एक पॉवर स्टेशन पर काम भी शुरू हो चुका है. फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस एक एक्टिव करने का काम शुरू कर दिया गया है. इस स्टेशन पर चीन तथा पाकिस्तान की नौसेना के जहाजों की मरम्मत, रखरखाव तथा रसद आदि की आपूर्ति का भी काम होगा.

नौसेना प्रमुख ने किया था आगाह
भारतीय सेना खुफिया एजेंसियों ने पहले ही चीन की घुसपैठ के बारे में चेतावनी जारी की थी. चीन ने हाल ही में अफ्रीका के सैन्य अड्डे जिबौटी में एक सैन्य अभ्यास किया था. नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने भी दिसंबर में एक बड़े खतरे को लेकर आगाह किया था. उन्होंने कहा था कि ग्वादर बंदरगाह का इस्तेमाल अगर चीन भविष्य में अपने नौसैनिक जहाजों के लिए करता है तो यह सुरक्षा के लिहाज से हमारे लिए चुनौती होगी. 

ये भी देखे

Trending news