NDA में उठी को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग, चिराग बोले - यह कमेटी होती तो शिवसेना अलग न होती
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NDA में उठी को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग, चिराग बोले - यह कमेटी होती तो शिवसेना अलग न होती

एनडीए से शिवसेना के अलग होते ही बाकी के घटक दलों ने बेहतर तालमेल के लिए एक को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की है. 

चिराग के मुताबिक, उन्होंने ये मांग कोई विवाद खड़ा करने के लिए नहीं की है.

नई दिल्ली: एनडीए (NDA) से शिवसेना (Shiv Sena) के अलग होते ही बाकी के घटक दलों ने बेहतर तालमेल के लिए एक को-ऑर्डिनेशन कमेटी (Coordination Committee) बनाने की मांग की है. संसद सत्र के शुरू होने से पहले रविवार को हुई NDA की बैठक में LJP के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने मांग की है कि जल्द ही NDA में एक कन्वेनर बनाया जाए और आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए एक को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की जरूरत है.

चिराग के मुताबिक, उन्होंने ये मांग कोई विवाद खड़ा करने के लिए नहीं की है. उनका मकसद विपक्ष के आरोपों का जवाब देना है. चिराग की मानें तो विपक्ष बार बार आरोप लगाता है कि NDA में को-ऑर्डिनेशन का आभाव है. ज़ी न्यूज़ से ख़ास बातचीत में चिराग पासवान ने कहा कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी जैसी कोई चीज़ होती तो शायद आज शिवसेना NDA से अलग नहीं होती. कोई बात बिगड़े तो संभालने के लिए एक तीसरे आदमी का होना जरूरी है. चिराग के मुताबिक, उनकी मांग का समर्थन JDU ने,  अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने और नार्थईस्ट की कई पार्टियों ने भी किया. उनको उम्मीद है कि इस मामले पर जल्द कोई फैसला लिया जाएगा.

वैसे 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से ही अलग अलग समय पर कभी शिवसेना तो कभी अकाली दल तो कभी JDU के नेता NDA को‌-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग करते रहे हैं. लेकिन BJP को 2014 में मिले 282 सीटें और 2019 में 303 सीट जितने की वजह से ये मांग तूल नहीं पकड़ पाई. क्योंकि सरकार चलाने के लिए बीजपी को इन दलों की जरूरत नहीं है. 

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करीब 2 दर्ज़न NDA के घटक दल चाहकर भी इस मामले पर कुछ नहीं कर पाते. लेकिन NDA के सबसे पुराने घटक दल के बाहर जाने से इस बार सब परेशान हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में NDA में संयोजक का पद और को‌-ऑर्डिनेशन कमेटी हुआ करती थी. 

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