CJI mother first public response to shoe attack: सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर द्वारा जूता फेंकने की घटना पर CJI भूषण गवई की मां कमलताई गवई ने कड़ी निंदा की है. इसे संविधान पर हमला और अराजकता फैलाने की कोशिश बताते हुए उन्होंने सख्त सजा की मांग की है. जानें पूरी खबर.
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CJI shoe attack In SC: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण आर. गवई की 84 वर्षीय मां कमलताई गवई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के अंदर जूता फेंकने की घटना की निंदा की है और इसे 'संविधान पर हमला' और 'देश में अराजकता' पैदा करने का प्रयास बताया है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस जूता फेंकेन की कोशिश की घटना के बाद CJI की मां की यह पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया है. मंगलवार को अमरावती में पत्रकारों से बात करते हुए, कमलताई ने कहा, "इस तरह की हरकतें अराजकता फैलाने के समान हैं. हर नागरिक को असहमति व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. हमें अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए."
ये व्यक्तिगत हमला नहीं
संयम और आपसी सम्मान का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, "यह केवल एक व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि एक ज़हरीली विचारधारा का हिस्सा है जिसे फैलने से पहले ही रोका जाना चाहिए. ऐसी घटनाएं हमारे संविधान का अपमान करती हैं और हमारे राष्ट्र को कलंकित करती हैं. संविधान के विरुद्ध कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति को कड़ी सजा मिलनी चाहिए."
'जियो और जीने दो'
डॉ. बी.आर. अंबेडकर के दृष्टिकोण में अपनी आस्था दोहराते हुए कमलताई ने कहा, "बाबासाहेब अंबेडकर ने हमें 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत पर आधारित एक समावेशी संविधान दिया. किसी को भी अव्यवस्था फैलाने का अधिकार नहीं है. मैं लोगों से आग्रह करती हूँ कि वे अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीकों से सुलझाएं." यह टिप्पणी कमलताई द्वारा दलित समूहों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद अमरावती में आरएसएस के शताब्दी समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार करने के कुछ ही दिनों बाद आई है.
अमरावती में हंगामा
इस बीच अमरावती जिला वकील संघ ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की घटना की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. सैकड़ों वकील जिला कलेक्टर कार्यालय में एकत्रित हुए और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुनील देशमुख, सचिव एडवोकेट अमोल मुराल और एडवोकेट प्रशांत देशपांडे सहित वरिष्ठ वकीलों ने इस कृत्य को "न्यायपालिका और कानून के शासन का अपमान" करार दिया है.
"जातिगत सीमाओं से परे एक सुनियोजित साजिश"
संविधान फाउंडेशन का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व आईएएस अधिकारी ई.जेड. खोबरागड़े ने इस हमले को "जातिगत सीमाओं से परे एक सुनियोजित साजिश" बताया. उन्होंने कहा, "यह न्यायपालिका पर ही हमला था." हमलावर को बिना देर किए सज़ा मिलनी चाहिए. अगर सरकार निर्णायक कार्रवाई नहीं करती, तो ऐसी घटनाएं दूसरों को भी हिम्मत दे सकती हैं. खोबरागड़े ने अदालत कक्ष में हुए हमले और कमलताई के आरएसएस शताब्दी समारोह में शामिल न होने के हालिया फ़ैसले के बीच संभावित संबंध का भी संकेत दिया. उन्होंने कहा, "उनके इनकार को भगवा संगठन ने अपमान के रूप में देखा. अगले ही दिन दिल्ली में जो हुआ, उसे अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता.