राजस्थान में बात-बात पर इंटरनेट बंद करने पर सेल्युलर कंपनियों के संगठन ने जताया ऐतराज
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राजस्थान में बात-बात पर इंटरनेट बंद करने पर सेल्युलर कंपनियों के संगठन ने जताया ऐतराज

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने राजस्थान सरकार द्वारा पिछले छह महीने के दौरान विभिन्न परीक्षाओं के अवसर पर पचास से अधिक बार इंटरनेट बंद किये जाने का विरोध करते हुए दूरसंचार विभाग को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में राज्य सरकार के इस कदम से हो रहे नुक्सान का हवाला दिया है. पत्र में कहा गया है कि अगस्त 2017 से अब तक राज्य में कुल 140 से अधिक बार विभिन्न कारणों से इंटरनेट बंद किया गया है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

शिव प्रकाश यादव. नई दिल्ली: सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने राजस्थान सरकार द्वारा पिछले छह महीने के दौरान विभिन्न परीक्षाओं के अवसर पर पचास से अधिक बार इंटरनेट बंद किये जाने का विरोध करते हुए दूरसंचार विभाग को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में राज्य सरकार के इस कदम से हो रहे नुक्सान का हवाला दिया है. पत्र में कहा गया है कि अगस्त 2017 से अब तक राज्य में कुल 140 से अधिक बार विभिन्न कारणों से इंटरनेट बंद किया गया है. 

सीओएआई का कहना है कि राजस्थान सरकार द्वारा इंटरनेट सेवाओं पर प्रहार भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. सीओएआई को भेजी गई चिट्ठी के अनुसार राजस्थान में फरवरी 2018 से लेकर 5 अगस्त 2018 तक 53 बार इंटरनेट केवल इसलिए बंद किया गया ताकि परीक्षाओं में नकल न हो सके. 

नियमों की अनदेखी
सीओएआई के अनुसार परीक्षा में शामिल होने वाले प्रतिभागी मोबाइल का दुरुपयोग न कर सके इसलिए संबंधित विभागों ने कोई और ठोस कदम नहीं उठाया, बल्कि सीधे इंटरनेट को ही बंद कर दिया, जो गलत है. सीओएआई का कहना है कि राज्य सरकार का ये कदम 2017 में लागू किये गए दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) के नियमों के खिलाफ है. इसके अनुसार इंटरनेट और अन्य टेलीकॉम सेवायें अस्थाई तौर पर तभी बंद की जा सकती हैं, जब किसी प्रकार की पब्लिक इमरजेंसी हो.

सीओएआई ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का आदेश केवल राज्य के गृह सचिव के द्वारा या किसी विशेष परिस्थिति में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा ही दिया जा सकता है, जिस पर 24 घंटे के भीतर गृह सचिव की मंजूरी लेनी होगी. लेकिन राजस्थान में गृह विभान ने ये अधिकार अपने विभागीय आयुक्त को दिया है जो इंटरनेट सस्पेंड करने का आदेश देते हैं. सीओएआई के अनुसार राजस्थान सरकार का ये कदम नियमों के खिलाफ है.

साइबर विशेषज्ञों की राय
साइबर लॉ विशेषज्ञों ने भी एग्जाम के दौरान मोबाइल का दुरूपयोग रोकने के लिए राजस्थान के विभिन्न जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने के कदम को गलत बताया है. साइबर लॉ विशेषज्ञ पवन दिग्गल ने बताया, 'ये कदम बेबुनियाद हैं. इनका कोई औचित्य नहीं है. इनका चीटिंग रोकने से कोई संबंध नहीं है. इंटरनेट का इस्तेमाल रोजमर्रा की गतिविधियों में होता है. अगर आप इंटरनेट को इसलिए बंद कर रहे रहे हैं कि कोई परीक्षा हो रही है, तो मुझे लगता है कि इस तरह के निर्णय का कोई कानूनी आधार है ही नहीं. 

उन्होंने कहा कि मुख्य तौर पर राष्ट्रीय हित एक ऐसी स्थिति होती है जब आप इंटरनेट बंद कर सकते हैं. इंटरनेट को बंद करने का निर्णय राष्ट्रीय हित व पब्लिक आर्डर के साथ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि एग्जाम हो रहा है, तो उसमें चीटिंग होगी, फिर लड़ाई होगी, लड़ाई से दंगे होंगे, उससे पब्लिक आर्डर पर असर पड़ेगा- ये बहुत लंबा नेक्सस है और तार्किक नहीं है. 

सीओएआई का कहना है कि इस तरह से इंटरनेट को बंद करने से टेलीकॉम और इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को तो नुकसान होता ही है, इसके साथ ही देश को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. आईसीआरआईईआर की एक रिपोर्ट कर हवाला देते हुए सीओएआई ने कहा है कि साल 2012 से 2017 के दौरान देश भर में 16,315 घंटे इंटरनेट की सेवाएं बंद की गईं जिसकी वजह से देश को करीब 87000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.

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