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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने आम आदमी पार्टी सरकार (AAP) को सुझाव दिया कि वह नियमों का उल्लंघन किए जाने पर 5,500 रुपये का जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले लोगों को फ्यूल बेस्ड कलर स्टिकर (fuel based sticker) और हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) हासिल करने के लिए और अधिक समय दे.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार (Delhi Government) को नागरिकों के बीच दहशत नहीं पैदा करनी चाहिए क्योंकि कुछ लोग स्थिति का फायदा उठा सकते हैं. अदालत ने यह भी कहा कि इस साल अगस्त में दिल्ली सरकार द्वारा स्टीकरों और एचएसआरपी की जरूरत के बारे में विज्ञापन जारी करने का सही समय नहीं था. कोर्ट ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस (Congress) समिति के प्रमुख अनिल कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कहा.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स’ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वाहनों के लिए अनिवार्य किए गए रंग आधारित स्टिकरों और एचएसआरपी के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूल रहे हैं. अधिवक्ता सुनील फर्नांडीस ने याचिकाकर्ता अनिल कुमार की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया चालान अभियान लोगों में दहशत पैदा कर रहा है. लोग ये स्टिकर एवं एचएसआरपी प्राप्त करने की जद्दोजहद कर रहे हैं ताकि उन्हें जुर्माने का सामना नहीं करना पड़ना पड़े.
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अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता सत्यकाम ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार का स्टिकरों और एचएसआरपी की दर तय करने से कोई लेना-देना नहीं है तथा यह केवल शीर्ष न्यायालय के निर्देशों को लागू करना चाहता है, जिसके तहत कहा गया था कि सभी वाहनों पर एचएसआरपी और स्टिकर होने चाहिए.
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