'बाल संभालने के लिए JCB का इस्तेमाल करना पड़ता होगा...', कलीग के कमेंट भड़की महिला, HC ने दिया बड़ा आदेश?
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'बाल संभालने के लिए JCB का इस्तेमाल करना पड़ता होगा...', कलीग के कमेंट भड़की महिला, HC ने दिया बड़ा आदेश?

Comment on female colleague's Hair: कई बार दफ्तर में काम के दौरान कुछ लोग एक दूसरे मजाक कर लेते हैं, कई बार देखते हैं कि महिला सहकर्मियों के बालों पर कमेंट या गाना गा देते हैं. एक ऐसे मामले की शिकायत महिला कराई, जिसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंच गया. अब इस मामले में हाई कोर्ट का आदेश आया है. 

'बाल संभालने के लिए JCB का इस्तेमाल करना पड़ता होगा...', कलीग के कमेंट भड़की महिला, HC ने दिया बड़ा आदेश?

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि अगर किसी दफ्तर में किसी पुरुष कर्मचारी के जरिए अपनी महिला सहकर्मी के बालों पर कमेंट किया है और उससे जुड़ा गाना गाया है तो यह यौन उत्पीड़न की कैटेगरी में नहीं आता. यह फैसला जस्टिस संदीप मरने की एकल-न्यायाधीश बेंच ने दिया, जिसमें एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी विनोद नारायण कचावे के खिलाफ दर्ज शिकायत को खारिज कर दिया गया.

'बाल संभालने के लिए JCB का इस्तेमाल करने पड़ता होगा'

मामला 11 जून 2022 का है, जब एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान कचावे ने अपनी महिला सहकर्मी के बालों की लंबाई और घनेपन पर टिप्पणी करते हुए कहा था,'तुम्हें अपने बालों को संभालने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल करना पड़ता होगा.' इसके बाद उन्होंने 'ये रेशमी जुल्फें' गाना गाना शुरू कर दिया. महिला सहकर्मी ने इसे इसे यौन उत्पीड़न का मामला बताया.

पुरुष सहकर्मी से भी किया मजाक

इसके अलावा शिकायतकर्ता ने एक अन्य घटना का भी जिक्र किया, जिसमें कचावे ने एक पुरुष सहकर्मी से मजाक में पूछा कि क्या वह अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा है और फिर कहा,'क्यों तुम्हारी मशीन खराब हो गई क्या?' जिसे शिकायतकर्ता ने असहज महसूस करने वाला बयान बताया. 

ICC ने करार दिया था मुजरिम

इस मामले की जांच आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने की और आरोपों को सही पाया. समिति ने कचावे के व्यवहार को अनुशासनहीन करार दिया. इसके बाद कचावे ने इंडस्ट्रियल कोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी उनकी अपील खारिज कर दी गई, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

कमेंट के बाद दोनों में नॉर्मल बातचीत भी हुई

हाईकोर्ट ने इस मामले की विस्तार से समीक्षा की और पाया कि कचावे की मंशा महिला सहकर्मी को यौन रूप से प्रताड़ित करने की नहीं थी. कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि घटना के बाद कचावे और शिकायतकर्ता के बीच व्हाट्सऐप पर बातचीत हुई थी, जिसमें कचावे ने उनकी कार्यक्षमता की तारीफ की थी और महिला ने भी शुक्रिया कहा था. इससे कोर्ट को संदेह हुआ कि क्या वाकई शिकायतकर्ता को उस टिप्पणी से कोई आपत्ति थी.

कोर्ट ने नहीं माना यौन उत्पीड़न

कोर्ट ने कहा कि पहली घटना में जो टिप्पणी की गई, वह यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आती, क्योंकि महिला को उसी समय यह अनुचित नहीं लगी. दूसरी घटना में जो मजाक किया गया, वह सीधे महिला सहकर्मी पर नहीं था, बल्कि एक पुरुष सहकर्मी को लेकर किया गया था. इसलिए इसे भी यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता.

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