आधार लीक मामला : सरकार ने कहा, 'प्रेस की आजादी को प्रतिबद्ध', शत्रुघ्न ने पूछा क्या भारत ‘बनाना रिपब्लिक’ है?
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आधार लीक मामला : सरकार ने कहा, 'प्रेस की आजादी को प्रतिबद्ध', शत्रुघ्न ने पूछा क्या भारत ‘बनाना रिपब्लिक’ है?

 भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि आधार ब्यौरे के दुरुपयोग को रेखांकित करने वाली खबर देने वाली पत्रकार को ‘‘कथित सच्चाई’’ सामने लाने के लिए परेशान किया जा रहा है और पूछा कि क्या देश के लोग किसी ‘‘बनाना रिपब्लिक’’ में रह रहे हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा ट्विटर पर लिखा, ‘‘यह कैसा न्याय है? क्या केवल प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है? यहां तक कि समाज और देश के लिए ईमानदारी से पेश आने वाली जनता को भी परेशान किया जा रहा है.’’ (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : आधार डेटा में कथित सेंध की खबर को लेकर प्राथमिकी दर्ज किए जाने की आलोचना के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि वह प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध है. वहीं, भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या लोग ‘बनाना रिपब्लिक’ में रह रहे हैं. आधार डेटा में कथित सेंध की खबर पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की याचिका पर दिल्ली पुलिस ने एक ‘ओपन एंडेड’ प्राथमिकी दर्ज की है.

  1. रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'सरकार प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध '
  2. क्या केवल प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है : शत्रुघ्न सिन्हा 
  3. कांग्रेस, माकपा और नेशनल कांफ्रेंस ने की सरकार की आलोचना

यूआईडीएआई की हो रही है आलोचना
यूआईडीएआई की शिकायत की कन्फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर एंड न्यूज एजेंसी एंप्लाइज आर्गनाइजेशन्स ने निंदा करते हुए इसे वापस लेने की मांग की. प्रेस की स्वतंत्रता पर इसे हमला बताते हुए कन्फेडरेशन ने कहा कि यूआईडीएआई को दंडात्मक कार्रवाई करने की बजाय खबर में कमियां बतानी चाहिए. यद्यपि शिकायत में आधार डेटा में कथित सेंध की खबर देने वाली ‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्टर समेत चार लोगों के नाम हैं, लेकिन विधि एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्राथमिकी ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है.

प्राथमिकी पर सरकार ने दी सफाई
प्रसाद ने अपने ट्वीट में कहा है, ‘सरकार प्रेस की स्वतंत्रता के साथ-साथ भारत के विकास के लिये आधार की सुरक्षा और पवित्रता को कायम रखने को प्रतिबद्ध है . प्राथमिकी अज्ञात लोगों के खिलाफ है.’ प्रसाद ने कहा, ‘‘मैंने यूआईडीएआई को सुझाव दिया है कि वह ट्रिब्यून व इसकी पत्रकार से अनुरोध करे कि वे जांच में पुलिस को हरसंभव सहायता करें ताकि असली अपराधियों का पता लगाया जा सके.’’ उधर, यूआईडीएआई ने आज कि वह प्रेस की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है और वह इस मामले की जांच में सहयोग के लिए उक्त समाचार पत्र व उसकी पत्रकार से संपर्क करेगा. प्राधिकरण ने ट्वीटर पर लिखा है कि वह इस बारे में ट्रिब्यून अखबार व पत्रकार रचना खैरा से जांच में हरसंभव मदद का आग्रह करेगा.

यूआईडीएआई ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हम असली अपराधी को पकड़ने के लिये जांच में हरसंभव सहायता देने के लिये @thetribunechd और @rachnakhaira को लिखने जा रहे हैं. अगर ट्रिब्यून और उसकी पत्रकार की ओर से किसी रचनात्मक सुझाव की पेशकश की जाती है तो हम उसकी भी सराहना करते हैं.’’ 

शत्रुघ्न सिन्हा ने पूछा क्या हम ‘‘बनाना रिपब्लिक’’ में रह रहे हैं
इस बीच, भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि आधार ब्यौरे के दुरुपयोग को रेखांकित करने वाली खबर देने वाली पत्रकार को ‘‘कथित सच्चाई’’ सामने लाने के लिए परेशान किया जा रहा है और पूछा कि क्या देश के लोग किसी ‘‘बनाना रिपब्लिक’’ में रह रहे हैं. ‘बनाना रिपब्लिक’ शब्द का इस्तेमाल ऐसे देश के लिए किया जाता है जो राजनीतिक रूप से अस्थिर है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘यह कैसा न्याय है? क्या केवल प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है? यहां तक कि समाज और देश के लिए ईमानदारी से पेश आने वाली जनता को भी परेशान किया जा रहा है.’’ सिन्हा अलग-अलग मुद्दों पर केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व की आलोचना करते रहे हैं.

उन्होंने घटना के सिलसिले में पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देने के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को बधाई भी दी और उम्मीद जतायी कि सरकार के ‘‘सच्चे अधिकारी’’ और खासकर उच्चतम न्यायालय संज्ञान लेकर त्वरित सुधारात्मक उपाय करेगा. पटना साहिब के सांसद ने एक और ट्वीट में कहा, ‘‘आधार में गड़बड़ी एवं उसके दुरूपयोग के बारे में कथित सच्चाई पेश करने के लिए पत्रकार को परेशान किया जा रहा है. क्या हम किसी बनाना रिपब्लिक में रह रहे हैं.’’ 

कांग्रेस और अन्य दलों ने की सरकार की आलोचना
उधर, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आधार संबंधित सूचनाओं में कथित रूप से सेंध लगाने के मामले को उजागर करने वाले समाचार पत्र एवं पत्रकार के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई के जरिये असहमति के स्वरों को दबाने तथा शुतुरमुर्ग जैसा रवैया अपनाने का आरोप लगाया. इसे ‘‘पत्रकारिता पर स्पष्ट हमला’’ करार देते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि पत्रकारों पर व्यवस्थित ढंग से हमले हो रहे हैं तथा उनके खिलाफ भय एवं हिंसा का माहौल बनाया जा रहा है. उन्होंने लोगों से इस बात का आत्ममंथन करने के लिए कहा कि क्या वे उदार, लोकतांत्रिक भारत चाहते हैं या धर्म प्रेरित एवं फासीवादी देश. तिवारी ने आरोप लगाया कि मीडिया संगठनों का व्यवस्थित ढंग से पीछा किया जा रहा है और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने मांग की कि यदि सरकार प्रेस की आजादी में विश्वास करती है तो समाचार पत्र ‘द ट्रिब्यून’ और पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी वापस ली जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘समाचार पत्र जिसने सरकार को आगाह किया कि हजारों नागरिकों की निजी सूचना एवं निजता खतरे में है, उन्हें तोहफे में प्राथमिकी दी गयी. इसमें पत्रकार के साथ-साथ स्वयं संस्थान को भी नामजद किया गया है.’’ तिवारी ने कहा, ‘‘यदि यह फासीवाद नहीं है, यदि यह असहमति के स्वरों को दबाने का प्रयास नहीं है, यदि यह सरकार की सत्ता का घोर दुरूपयोग नहीं है, तो मुझे आशंका है कि हमारे पास संभवत: इसकी परिभाषा नहीं है...’’ उन्होंने कहा कि इसीलिए समय आ गया है कि सभी प्रगतिशील, सही सोचने वाली एवं देशभक्ति वाली ताकतें दबाये जाने वालों के खिलाफ व्यवस्थित रूप से एकजुट हों. इस ताकत का इस्तेमाल नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक रूप से व्यक्त किये जाने वाले असहमति के स्वरों के खिलाफ किया जा रहा है.

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी आधार संबंधी आंकड़ों के लीक होने से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट पर प्राथमिकी दर्ज करने के मामले को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है. नेशनल कांफ्रेंस ने आधार डेटा में सेंध के बारे में एक खबर पर यूआईडीएआई द्वारा मामला दर्ज कराने की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र को तंत्र में खामियों के बारे में निरीक्षण करना चाहिए और प्रेस की आजादी को नहीं दबाना चाहिए .

इस बीच, ‘द ट्रिब्यून’ अखबार के प्रधान संपादक हरीश खरे ने रविवार को एक बयान में कहा कि अखबार खोजी पत्रकारिता के अपनी आजादी का बचाव करेगा. उन्होंने कहा कि संस्थान इस बारे में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेगा. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी प्राथमिकी वापस किए जाने को लेकर सरकार से दखल की मांग की और कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए.

एक वक्तव्य में कॉन्फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर एंड न्यूज एजेंसी इंप्लाइज आर्गनाइजेशन ने कहा कि यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और जो लोग सत्ता में हैं उन्हें पसंद नहीं आने वाली खबर रिपोर्ट करने से प्रेस को वंचित करने सरीखा है.

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