DNA Analysis: रेस्टोरेंट से मंगाए भोजन की तुलना में महंगे क्यों होते हैं ऑनलाइन फूड? पीछे छिपा है ये बिजनेस मॉडल
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DNA Analysis: रेस्टोरेंट से मंगाए भोजन की तुलना में महंगे क्यों होते हैं ऑनलाइन फूड? पीछे छिपा है ये बिजनेस मॉडल

Cost of Restaurant and Online Food Delivery: क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब रेस्टोरेंट पर भोजन करने जाते हैं तो वह सस्ता होता है. लेकिन जैसे ही आप ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप से उसी रेस्टोरेंट से भोजन मंगवाते हैं तो 35 प्रतिशत तक महंगा हो जाता है. यह कोई जादू नहीं बल्कि एक महंगा बिजनेस मॉडल है. 

DNA Analysis: रेस्टोरेंट से मंगाए भोजन की तुलना में महंगे क्यों होते हैं ऑनलाइन फूड? पीछे छिपा है ये बिजनेस मॉडल

Cost of Restaurant and Online Food Delivery: क्या आपको पता है, अगर आप सीधे Restaurants से फुड ऑर्डर करने के बजाय किसी ऐप के जरिए फूड ऑर्डर करते हैं तो आपका बिल 30 से 35 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकता है. यानी मान लीजिए अगर आप किसी Restaurants से 1 हजार रुपये का खाना ऑर्डर करते हैं लेकिन इसके लिए किसी ऐप का इस्तेमाल करते हैं तो आपको एक हजार नहीं बल्कि 1300 से 1350 रुपये चुकाने होंगे.

ये सबसे ब्रेकिंग विश्लेषण क्यों है, इसे आप कुछ आंकड़ों से समझ सकते हैं. Zomato का नाम आप सबने सुना होगा. ये ऑनलाइन फूड डिलीवरी कम्पनी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में Zomato पर 40 करोड़ ऑनलाइन फुड ऑर्डर रजिस्टर हुए थे. 2021 में ये आंकड़ा 23 करोड़ था. अनुमान है कि इस साल कम्पनी को भारत में 44 करोड़ ऑनलाइन फुड ऑर्डर मिलेंगे और 2026 तक इनकी संख्या 164 करोड़ पहुंच जाएगी. यानी 2026 तक देश में भारत की आबादी से ज्यादा ऑनलाइन फूड ऑर्डर प्लेस होंगे. 

ऑनलाइन फूड ऑर्डर करना बन गया है फैशन

ये आंकड़ा सिर्फ Zomato का है. सोचिए, बाकी कम्पनियों के फूड ऑर्डर्स को भी हमने मिला लिया तो ये नम्बर कितना बड़ा हो जाएगा. कहने का मतलब ये है कि आज देश में ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने का एक फैशन बन गया है. आप घर बैठे अपने पसंदीदा Restaurants से कुछ भी खाने के लिए मंगा सकते हैं.

इसलिए ये जो ख़बर है, जो सीधे आपसे जुड़ी है. आपकी जेब से जुड़ी है. हमारे देश में बड़े बुज़ुर्ग अक्सर एक बात कहते हैं कि जो पैसा है, उसे बहुत सोच समझ कर खर्च करना चाहिए. लेकिन क्या आप ऑनलाइन फूड ऑर्डर करते समय ऐसा करते हैं. हम आपको एक बिल के बारे में बताते हैं, जो राहुल काबरा नाम के एक व्यक्ति द्वारा साझा किया गया है. इस व्यक्ति का कहना है कि उसने एक ही Restaurant से Offline और Online फुड ऑर्डर किया. जो ऑर्डर ऑफलाइन किया गया था, यानी सीधे Restaurant को फोन करके मंगाया गया था, उसकी कीमत 512 रुपये थी लेकिन जो फुड ऑर्डर ऑनलाइन मंगाया था, उसकी कीमत 690 रुपये थी. ये बिल इतना तब था, जब Zomato से उसे इस ऑर्डर पर 75 रुपये का डिस्काउंट मिला.

35 प्रतिशत महंगा मिलता है ऑनलाइन फूड

यानी सीधे तौर पर ऑफलाइन की तुलना में ऑनलाइन फुड ऑर्डर लगभग 35 प्रतिशत महंगा था. अब ये सिर्फ एक मामला है. सोचिए दिनभर में देश में कितने ऑनलाइन फूड ऑर्डर प्लेस होते होंगे और इस तरह लोगों को कितना ज्यादा पैसा देना पड़ता होगा. इस पूरे बिजनेस मॉडल को हमने डिकोड करने की कोशिश की. हमारी टीम दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु और दूसरे बड़े शहरों में ऐसे Restaurants पर गई, जो इन कंपनियों के साथ मिल कर काम करते हैं. इस दौरान हमें ये पता चला कि Restaurants की कीमतों में और इन ऐप्स पर दिखाई जाने वाली कीमतों में भारी अंतर होता है. अक्सर हम इस अंतर को ये सोच कर नजरअन्दाज़ कर देते हैं कि 20-25 रुपये ज्यादा देने से क्या हो जाएगा. लेकिन ये खेल बहुत बड़ा है.

सरल शब्दों में इसे आपको समझाते हैं. उदाहरण के लिए आपके इलाक़े में A, B, C और D नाम के चार Restaurants हैं. जहां एक प्लेट दाल 100 रुपये की है. अब Zomato जैसी कम्पनियां क्या करती हैं, वो इन Restaurants के साथ Tie Up कर लेती हैं. ये डील कुछ इस तरह से होती है कि इन Restaurants को हर ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर Zomato को 20 से 28 प्रतिशत तक कमीशन देना होता है. यानी मान लीजिए कोई डिश 100 रुपये की है को उसमें से 20 से 28 रुपये कमीशन के रूप में Restaurants मालिक इन कम्पनियों को देते हैं क्योंकि इन्हें ऑनलाइन फूड ऑर्डर इन्हीं कम्पनियों के ज़रिए मिलते हैं. अब इससे होता ये है कि जब इन Restaurants के द्वारा इन कम्पनियों को कमीशन दी जाती है तो इससे उन्हें नुकसान होता है. इसी नुकसान से बचने के लिए ये तमाम Restaurants उस डिश की कीमत बढ़ा देते हैं. जैसे 100 रुपये की कोई डिश है और कमीशन देने से कोई नुकसान ना हो, इसके लिए उस डिश की कीमत 100 रुपये से 120 या 125 रुपये तक कर दी जाती है.

डिलीवरी चार्ज भी वसूल रही हैं कंपनियां

इससे आपका बिल ऑनलाइन फुड ऑर्डर करने पर 30 से 35 प्रतिशत तक महंगा हो जाता है. ऊपर से आप डिलिवरी चार्ज अलग से देते हैं. हालांकि पहले ऐसा नहीं होता था. पहले Zomato डिलीवरी चार्ज का एक बड़ा हिस्सा अपने ग्राहकों से नहीं लेती थी. बल्कि ये पैसा उसकी तरफ़ से Riders को दिया जाता था. लेकिन धीरे धीरे जैसे लोगों को उनके ऐप्स की आदत होने लगी, इन कम्पनियों ने डिलिवरी चार्ज के बोझ को ग्राहकों पर पहले से बढ़ा दिया. ये एक तरह की Market Strategy होती है, जिसमें बाज़ार पर नियंत्रण के लिए ये कम्पनियां पहले भारी डिस्काउंट देती हैं और तरह तरह के फायदे आपको दिखाती हैं. जब आप इन कम्पनियों की सेवाओं पर निर्भर हो जाते हैं तो ये उन डिस्काउंट को खत्म कर देती हैं या सीमित कर देती हैं.

हालांकि इस पूरे मामले पर Zomato ने अपनी सफाई दी है और कहा है कि ऑनलाइन फूड ऑर्डर महंगा होने के पीछे Restaurants होते हैं. उसका कहना है कि जो रेट लिस्ट होती है, वो इन Restaurants के द्वारा ही नियंत्रित होती है.

अगले 4 साल में एक लाख करोड़ का हो जाएगा बिजनेस

वर्ष 2020 में भारत में Online Food Delivery Market.. 4.35 Billion Dollar यानी लगभग 35 हज़ार करोड़ रुपये की थी. अनुमान है कि आने वाले वर्षों में ये Market बहुत तेज़ी से बढ़ेगी. एक अध्ययन के मुताबिक़, 2025 तक यानी अगले तीन वर्षों में ये मार्केट 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की हो जाएगी. ये आंकड़ा कितना ज्यादा है, इस बात का अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस साल के लिए भारत का शिक्षा बजट एक लाख 4 हजार 278 करोड़ रुपये है. यानी एक तरफ देश का शिक्षा बजट है और दूसरी तरफ़ Online Food Delivery Market है.

उपभोक्ता को अंग्रेज़ी में Customer कहते हैं. लेकिन बड़ी बड़ी कम्पनियों के लिए Customer का अर्थ होता है, ऐसा व्यक्ति जो अपने कष्ट से मरता रहे और उसे अपने कष्ट का इलाज उसी कम्पनी के Product में नजर आए. यानी आपका कष्ट ही आपको इन कम्पनियों का Customer बनाता है. इस विचार को हमने पिछले दिनों भी आपसे साझा किया था और आज एक बार फिर हम आपसे कहना चाहते हैं कि एक जागरुक Customer बनिए क्योंकि अगर आप जागरुक नहीं बने तो Customer से कष्ट-मर हो जाएंगे.

(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)

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