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नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus 2nd Wave) का प्रकोप अब कम हो गया है, लेकिन पहली और दूसरी लहर को लेकर की गई एक स्टडी में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोविड-19 की दूसरी लहर में मरने वालों की तादाद पहली लहर के मुकाबले 40 गुना ज्यादा रही.
मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital) ने अपने 10 अस्पतालों का डाटा मिलाकर एक अहम स्टडी के जरिए यह देखने की कोशिश की है कि पहली और दूसरी लहर में क्या फर्क रहा. कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर में 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में ज्यादा मौतें देखी गई. इसके अलावा इस स्टडी में कुछ बातें बेहद चौंकाने वाली हैं.
स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस का शिकार होकर जान गंवाने वाले सबसे ज्यादा लोगों को डायबिटीज की बीमारी थी. इसके अलावा दोनों ही लहर में पुरुषों की संख्या काफी ज्यादा रही. इसके अलावा दोनों लहर में स्टेरॉयड का इस्तेमाल बराबर हुआ.
मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital) के अनुसार, उनके अस्पतालों में पहली लहर के दौरान 4986 केस यानी करीब 34 प्रतिशत केस माइल्ड थे, जबकि दूसरी लहर में केवल 1416 यानी 26 प्रतिशत केस माइल्ड कैटेगरी के थे. अगर बेहद गंभीर मामलों की बात करें तो 14398 में से 4705 यानी 32 प्रतिशत केस गंभीर थे, जबकि दूसरी लहर में 5454 मामलों में से 2147 यानी 39 प्रतिशत केस गंभीर कैटेगरी के थे.
कोविड-19 की दूसरी लहर में 74 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, जबकि पहली लहर में 63 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा था. महामारी की पहली लहर में 8.7 प्रतिशत मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी थी, जबकि दूसरी बार में 10 प्रतिशत मरीजों को वेंटिलेशन सपोर्ट पर रखा गया.
कोरोना की दूसरी लहर में रेमडेसिविर और इम्यूनोग्लोबुलिंस का इस्तेमाल ज्यादा हुआ, जबकि पहली लहर में फेयरी पैरावेट यानी fabi फ्लू और टोसिलिजुमैब का इस्तेमाल ज्यादा हुआ था. दोनों ही लहर में स्टेरॉयड और खून जमने से रोकने वाली दवाओं का इस्तेमाल लगभग बराबर रहा. महामारी के दोनों ही दौर में 86 प्रतिशत मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया गया. इसी तरह एंटीकोगुलेंट यानी खून जमने से रोकने वाली दवाओं का इस्तेमाल 74 प्रतिशत मरीजों में किया गया.
अहम बात यह है की कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus 2nd Wave) में बहुत सारे मरीजों को सेकेंडरी इंफेक्शन हुआ. कुछ मरीजों में बैक्टीरियल इंफेक्शन हुआ तो कुछ को फंगल इनफेक्शन का सामना करना पड़ा. दूसरी लहर में मरने वालों की तादाद पहली लहर के मुकाबले 40 गुना ज्यादा रही और 45 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में ज्यादा मौतें देखी गई.
पहली लहर में 11 प्रतिशत मरीजों को सेकेंडरी इंफेक्शन हुआ, वहीं दूसरी लहर में यह संख्या काफी बढ़ गई और 27.6 प्रतिशत मरीजों को बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन हुआ. मैक्स अस्पताल के मुताबिक दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस के 169 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 17 की जान चली गई. जबकि पहली लहर के दौरान म्यूकोरमाइकोसिस के केवल 10 मरीज भर्ती हुए थे, जिनमें से 2 लोगों की मौत हुई थी.
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