NSG सदस्यता : विदेश मंत्रालय ने कहा- मौजूदा बाधा को 'कूटनीतिक विफलता' नहीं कहा जा सकता
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NSG सदस्यता : विदेश मंत्रालय ने कहा- मौजूदा बाधा को 'कूटनीतिक विफलता' नहीं कहा जा सकता

भारत सहित परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों की सदस्यता पर चर्चा के लिए इस साल के अंत से पहले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक एक बार फिर हो सकती है। इस बीच, भारत ने रविवार को चीन को स्पष्ट कर दिया कि द्विपक्षीय संबंधों में आगे बढ़ने के लिए भारत के ‘हितों’ का ख्याल रखना जरूरी है।

NSG सदस्यता : विदेश मंत्रालय ने कहा- मौजूदा बाधा को 'कूटनीतिक विफलता' नहीं कहा जा सकता

नई दिल्ली : भारत सहित परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों की सदस्यता पर चर्चा के लिए इस साल के अंत से पहले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक एक बार फिर हो सकती है। इस बीच, भारत ने रविवार को चीन को स्पष्ट कर दिया कि द्विपक्षीय संबंधों में आगे बढ़ने के लिए भारत के ‘हितों’ का ख्याल रखना जरूरी है।

गौरतलब है कि एनएसजी सदस्यता के लिए भारत की हालिया कोशिश चीन के अड़ियल रवैये के कारण नाकाम हो गई थी।

48 देशों वाला समूह एनएसजी गैर-एनपीटी देशों को सदस्यता देने की प्रक्रिया पर खास तौर पर चर्चा के लिए इस साल के अंत से पहले बैठक कर सकता है। इससे भारत को अपनी दावेदारी पर दबाव बनाने का एक और मौका मिल सकेगा। बीते शुक्रवार को दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में संपन्न हुए एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में भारत इस समूह में अपना प्रवेश सुनिश्चित करने में नाकाम रहा था।

भारत को चीन एवं कुछ अन्य देशों से काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। भारत के एनपीटी पर दस्तखत न करने को उसके विरोध का एक मजबूत आधार बनाया गया था। बहरहाल, राजनयिक सूत्रों ने बताया कि मेक्सिको के सुझाव पर यह फैसला किया गया है कि गैर-एनपीटी देशों के लिए प्रवेश की शर्तों पर विचार के लिए इस साल के अंत से पहले एनएसजी की एक और बैठक आयोजित की जाए। सामान्य स्थिति में एनएसजी की अगली बैठक अगले साल ही किसी महीने में आयोजित की जाती।

एनएसजी की अगली बैठक कुछ ही महीनों में होने की खबरें सामने आने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘हम चीन पर जोर देते रहेंगे कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आपसी हितों, चिंताओं एवं प्राथमिकताओं का ख्याल रखना जरूरी है।’ विकास का बयान इसलिए अहम है क्योंकि चीनी विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि बहुपक्षीय मंच एनएसजी में बीजिंग के विरोध का भारत-चीन संबंधों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।

विकास ने यह भी कहा कि सोल में हुई बैठक में भारत को भले ही ‘अपेक्षित परिणाम’ हासिल नहीं हुए, लेकिन भारत एनएसजी में शामिल होने के लिए समर्पित प्रयास करता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘आज भारतीय राजनय को नाकामी का डर नहीं है। यदि हमें मन मुताबिक नतीजे नहीं मिले हैं तो इसका सीधा सा मतलब है कि हमें अपनी कोशिशें दोगुनी करनी होंगी।’ विकास ने कहा, ‘कुछ प्रक्रियाएं ऐसी होती हैं जिसमें लंबा वक्त लगता है। मैं एनएसजी सदस्यता की प्रक्रिया को इसी श्रेणी में रखूंगा।’ 

चीन ने गैर-एनपीटी देशों की सदस्यता पर एनएसजी की बैठक जल्द आयोजित करने के मेक्सिको के सुझाव पर विरोध दर्ज कराया था, लेकिन अमेरिका सहित कई देशों ने इस सुझाव का समर्थन किया था।

एनएसजी ने भारत की सदस्यता पर अनौपचारिक चर्चा के लिए एक समिति भी गठित कर दी है और इसकी अध्यक्षता अर्जेंटीना के राजदूत राफेल ग्रॉसी करेंगे।

ग्रॉसी की नियुक्ति ऐसे समय में हुई जब एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि सोल में हुई एनएसजी की बैठक भारत को सदस्य के तौर पर स्वीकार करने के लिए राह बनाने के साथ संपन्न हुई।

ओबामा प्रशासन के अधिकारी ने वॉशिंगटन में पीटीआई को बताया, ‘हमें यकीन है कि इस साल के अंत तक हमें आगे की राह मिलेगी। इसमें कुछ काम करने की जरूरत है। लेकिन हमें यकीन है कि भारत इस साल के अंत तक एनएसजी का पूर्ण सदस्य बन जाएगा।’

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