DNA with Sudhir Chaudhary: कांग्रेस के नेताओं का सत्याग्रह आज भी जारी रहा. कल की तरह आज भी कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं ने गांधी परिवार को खुश करने के लिए कैमरे के सामने खूब ड्रामा किया और बढ़-चढ़ कर अपनी गिरफ्तारियां दी.


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कांग्रेसी नेताओं का हाई वोल्टेज ड्रामा


कांग्रेस के तमाम नेता और कार्यकर्ता ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि वो इस बार सड़कों पर विचारधारा को लेकर, देश को लेकर या आम जनता की किसी समस्या को लेकर नहीं बल्कि गांधी परिवार को बचाने के लिए उतरे हैं. इसलिए सभी ने आज बढ़-चढ़ कर विरोध प्रदर्शन के अपने Videos बनवाए. ताकि गांधी परिवार के प्रति उनकी वफादारी साबित हो सके. इससे पहले आपने कांग्रेस के इतने बड़े-बड़े नेताओं को इतनी एकता और शिद्दत के साथ बड़े से बड़े चुनावों में भी सड़कों पर निकलते नहीं देखा होगा. इसलिए आज हम कांग्रेस के इन नेताओं और कार्यकर्ताओं की इस बेबसी का विश्लेषण करेंगे.


लंबे समय बाद एकजुट हुई पार्टी


पहले दिन लगभग साढ़े 8 घंटे की पूछताछ के बाद आज फिर से ED ने राहुल गांधी से पूछताछ की. और इस पूछताछ के विरोध में कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आज भी अपना सत्याग्रह जारी रखा. कई दशकों के बाद ऐसा हुआ है, जब कांग्रेस पार्टी किसी मुद्दे को लेकर एकजुट दिखी है. लेकिन जो मुद्दा उसने चुना है, वो गलत है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार के एक मामले में राहुल गांधी को बचाने के लिए ये एकजुटकता दिखा रही है. जबकि इस तरह के मामलों में ऐसा शक्ति प्रदर्शन ना सिर्फ़ अनैतिक है बल्कि ये देश के कानूनों और संविधान का मजाक उड़ाने जैसा है.


जमानत पर बाहर हैं राहुल गांधी


ED राहुल गांधी से पूछताछ इसलिए नहीं कर रहा कि वो देश के लिए कोई बहुत बड़ा काम कर रहे हैं. बल्कि उनसे ये पूछताछ भ्रष्टाचार के एक मामले में हो रही है और इस मामले में वो पिछले 7 वर्षों से जमानत पर बाहर हैं. लेकिन इसके बावजूद गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी ने पूछताछ की इस कानूनी प्रक्रिया को एक बड़े राजनीतिक उत्सव में बदल दिया है.


वफादारी साबित करने में जुटे कांग्रेसी नेता


आज भी राहुल गांधी पूछताछ से पहले अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस के दफ्तर पहुंचे, जहां कांग्रेस के तमाम बड़े नेता, पदाधिकारी, सांसद और यहां तक कि मुख्यमंत्री उनका स्वागत करने के लिए इंतजार कर रहे थे. इनमें वो नेता भी थे, जिन्हें आपने पिछले कई वर्षों से इस तरह सड़कों पर नहीं देखा होगा. लेकिन राहुल गांधी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए आज ये सारे नेता सत्याग्रह भी कर रहे हैं और उनके लिए पुलिस से भी उलझने के लिए तैयार हैं.


बड़े नेताओं की छोटी हरकत


उदाहरण के लिए, आपने पी. चिदंबरम का नाम जरूर सुना होगा. वो कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं और UPA सरकार में देश के गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा वो खुद भ्रष्टाचार के मामले में वर्ष 2019 में 106 दिनों तक जेल में रहे थे. यानी जो नेता भ्रष्टाचार के मामले में खुद जेल रह कर आया है, वो राहुल गांधी के समर्थन में सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहा है.


आज हमने Zee News की Library में पिछले 10 साल की फुटेज खंगाली और इस दौरान हमें एक भी तस्वीर ऐसी नहीं मिली, जिसमें पी. चिदंबरम इस तरह सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करते दिखाई दिए हों. उन्होंने देश से जुड़े मुद्दों पर पिछले कुछ वर्षों में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया. वो महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कभी सड़कों पर नहीं दिखाई दिए. यहां तक कि चुनाव प्रचार में भी उन्हें इस तरह से नहीं देखा गया, लेकिन अब वो राहुल गांधी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए ना सिर्फ सत्याग्रह कर रहे हैं बल्कि पुलिस से उलझ भी रहे हैं. ये उनकी कल की तस्वीरें हैं, जिसमें वो पुलिस पर गुस्सा करते हुए दिख रहे हैं.


अपना काम छोड़ परिवार को खुश करने में लगे तमाम नेता


ऐसा करने वाले वो कांग्रेस पार्टी में अकेले नहीं है. पिछले दो दिन से कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं. यानी ये नेता अपने राज्यों का सारा कामकाज छोड़ कर दिल्ली में इसलिए डटे हुए हैं ताकि वो राहुल गांधी के प्रति अपनी वफादारी को साबित कर सकें और इन नेताओं ने भी पिछले कुछ वर्षों में कभी जनता के मुद्दों को लेकर इस तरह सड़कों पर सत्याग्रह नहीं किया.


इन नेता जी से मिलिए


इसके अलावा आपका परिचय कांग्रेस के एक और नेता से कराते हैं, जिनका नाम है, रणदीप सुरजेवाला. रणदीप सुरजेवाला को हाल ही में राजस्थान से राज्यसभा सांसद के लिए चुना गया है और वो भी गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. आज जब कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता राहुल गांधी के साथ ED के दफ्तर तक जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे थे, उस दौरान रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने पुलिस से धक्का मुक्की की, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया.


जितनी ज्यादा पिटाई उतनी ज्यादा वफादारी


इसके अलावा Indian Youth Congress के अध्यक्ष Srinivas BV ने भी सड़कों पर खूब ड्रामा किया. वो सत्याग्रह करने के लिए सड़क पर लेट गए और जब पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने की कोशिश की तो वो बैरिकेड पर चढ़ कर ED के दफ्तर जाने की कोशिश करने लगे. यानी आप देखेंगे तो जो नेता जितना ज्यादा पिट रहा है और जो नेता जितना ज्यादा पुलिस से उलझ रहा है, वो उसकी वफादारी का उतना ही बड़ा सबूत है. कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर इतना हंगामा इसलिए कर रही है क्योंकि ये मामला राहुल गांधी और सोनिया गांधी की मुश्किलें काफी बढ़ा सकता है. आज ED ने राहुल गांधी से कई ऐसे सवाल पूछे, जिनसे इस केस में नया मोड़ आ सकता है.


ED ने आज राहुल गांधी से पूछा कि देश और विदेश में उनके पास कितनी सम्पत्ति है? वो यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की कम्पनी में 38 प्रतिशत के हिस्सेदार कैसे बने? आज हमने इस केस से जुड़ी कई बारिकियों को समझा और इस अध्ययन के दौरान हमने ये पाया कि ये मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं है. बल्कि इस मामले में तमाम नियम और कानूनों की भी धज्जियां उड़ाई गई हैं. इसलिए अब आपको ये पूरा मामला बताते हैं.


शुरू से समझें, क्या है पूरा मामला?


23 नवंबर 2010 को यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक Non-Profit कम्पनी बनाई गई थी. जिसमें दो लोग हिस्सेदार थे. ये कम्पनी पांच लाख रुपये की थी. यानी इसके पास पांच हजार Shares थे और हर शेयर की कीमत 100 रुपये थी. लेकिन इस कम्पनी के गठन के बाद ये सभी Shares चार लोगों को ट्रांसफर कर दिए. और ये चार लोग थे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और Oscar Fernandes. यानी ये चारों लोग यंग इंडिया कम्पनी के मालिक बन गए. जिनमें 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी सिर्फ़ राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास थी.


अब हुआ ये कि कांग्रेस पार्टी ने Associated Journals Limited यानी AJL कम्पनी को 90 करोड़ 21 लाख रुपये का लोन दिया था और AJL इस लोन को चुका नहीं पा रही थी. इसके बाद ये तय हुआ कि यंग इंडिया कम्पनी कांग्रेस पार्टी को 50 लाख रुपये का भुगतान कर देगी और फिर AJL को 90 करोड़ का लोन कांग्रेस पार्टी को नहीं बल्कि यंग इंडिया नाम की इस कम्पनी को चुकाना होगा. यानी मतलब लोन दिया कांग्रेस पार्टी ने लेकिन AJL को इस लोन का भुगतान यंग इंडिया को करना था. अब AJL के पास पैसा तो था नहीं. इसलिए AJL ने अपने 9 करोड़ Equity Shares, यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिए और इस तरह AJL में यंग इंडिया नाम की ये कंपनी 99.99 प्रतिशत की हिस्सेदार बन गई और AJL की दो हजार करोड़ रुपये की सम्पत्ति गांधी परिवार के पास चली गई क्योंकि यंग इंडिया में सोनिया गांधी और राहुल गांधी 38-38 प्रतिशत के हिस्सेदार हैं.


इन तमाम बातों से ये स्पष्ट हो जाता है कि इस मामले में किस स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ होगा. और ED अभी इसी की जांच कर रहा है. और राहुल गांधी को कल फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है. हालांकि आज पूछताछ के दौरान राहुल गांधी ने ED के अधिकारियों से नाराजगी जताई और ये कहा कि वो उनसे सारे सवाल आज ही पूछ लें क्योंकि वो बार बार ED के दफ्तर नहीं आ सकते. क्योंकि इससे लोग परेशान हो रहे हैं.


कांग्रेस भले इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है, लेकिन सच ये है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी ये कह चुका है कि गांधी परिवार के खिलाफ जांच की जा सकती है. वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस केस में जितने भी आरोपी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई का ना तो रोका जाएगा और ना ही रद्द किया जाएगा. तो क्या सुप्रीम कोर्ट का तब का ये फैसला भी गलत था?


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