जम्मू-कश्मीर के बाद अब कर्नाटक चाहता है अपना झंडा, सिद्धारमैया सरकार ने बनाई समिति, विपक्ष ने बोला हमला
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जम्मू-कश्मीर के बाद अब कर्नाटक चाहता है अपना झंडा, सिद्धारमैया सरकार ने बनाई समिति, विपक्ष ने बोला हमला

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अपने राज्य के लिए एक अलग झंडा चाहती है. सरकार ने झंडे को डिजाइन करने के लिए नौ मेंबर्स की एक कमेटी भी गठित की है. 

कर्नाटक सरकार ने राज्य के झंडे को डिजाइन करने के लिए एक कमेटी बनाई है. (file)

बेंगलुरु/नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने राज्य की खातिर एक अलग झंडे की कवायद शुरू की है. विपक्षी पार्टियों ने जब इस कदम का विरोध किया तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी इस पहल का खुलकर बचाव किया. एक अधिकारी ने बताया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने नौ सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया है, जिसे राज्य के लिए एक अलग झंडा डिजाइन करने और इसके लिए कानूनी आधार मुहैया कराने के बाबत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

यदि राज्य के लिए अलग झंडे की कवायद को अमलीजामा पहना दिया जाता है तो कर्नाटक संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसका आधिकारिक तौर पर अलग झंडा होगा. कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता वाली समिति पिछले महीने गठित की गई. जानेमाने कन्नड़ लेखक एवं पत्रकार पाटिल पुटप्पा और समाजसेवी भीमप्पा गुंडप्पा गडपा की ओर से दिए गए ज्ञापन के बाद इस समिति का गठन किया गया.

पुटप्पा और गडपा ने अपने ज्ञापन में सरकार से अनुरोध किया था कि ‘कन्नड़ नाडु’ के लिए एक अलग झंडा डिजाइन किया जाए और इसे कानूनी आधार दिया जाए. इस समिति में कार्मिक एवं प्रशासनिक सेवा, गृह, कानून एवं संसदीय कार्य विभागों के सचिव भी शामिल किए गए हैं. इनके अलावा, कन्नड़ साहित्य परिषद, कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और हम्पी स्थित कन्नड़ यूनिवर्सिटी के कुलपति भी समिति के सदस्य बनाए गए हैं.

कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग के निदेशक समिति के सदस्य सचिव होंगे. कर्नाटक के स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल एक नवंबर को राज्य के कोने-कोने में अभी जो झंडा फहराया जाता है, वह मोटे तौर पर लाल एवं पीले रंग का ‘कन्नड़ झंडा’ है. इस झंडे का डिजाइन 1960 के दशक में वीरा सेनानी एम ए रामामूर्ति ने तैयार किया था. सिद्धारमैया सरकार की ओर से समिति के गठन का कदम पिछली भाजपा सरकार के रुख से अलग है.

साल 2012 में सदानंद गौड़ा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने दो रंग वाले कन्नड़ झंडे को राज्य का आधिकारिक झंडा घोषित करने के सुझाव को स्वीकार नहीं किया है, क्योंकि अलग झंडा ‘देश की एकता एवं अखंडता के खिलाफ’ होगा. मंगलवार (18 जुलाई) को पत्रकारों ने जब समिति के बारे में पूछा तो सिद्धारमैया ने जानना चाहा कि क्या संविधान में ऐसा कोई प्रावधान है जो राज्य को अपना अलग झंडा रखने से रोके.

अपने कदम का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘क्या संविधान में ऐसा कोई प्रावधान है? क्या आपने संविधान में ऐसा कोई प्रावधान देखा है? क्या भाजपा के लोगों को ऐसे किसी प्रावधान के बारे में पता है? तो वे यह मुद्दा क्यों उठा रहे हैं?’ साल 2018 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह कदम उठाने के बाबत उन्होंने कहा, ‘चुनाव अप्रैल-मई के महीने में होंगे, अभी नहीं, कल नहीं, न ही अगले महीने.’ 

भाजपा पर निशाना साधते हुए सिद्धारमैया ने कहा, ‘क्या भाजपा के लोगों ने कहा कि वे कर्नाटक राज्य के लिए अलग झंडा नहीं चाहते? उन्हें बयान जारी करने दें कि ‘हम कर्नाटक राज्य के लिए झंडा नहीं चाहते.’ इस कदम की निंदा करते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. राउत ने दलील दी कि राज्य सरकार की मांग ‘असंवैधानिक’ और ‘देश की अखंडता के खिलाफ’ है.

2012 में राज्य सरकार ने ठुकरा दी थी अलग झंडे की मांग

कर्नाटक सरकार का यह स्टैंड 2012 में अपने रुख से अलग है. बता दें 2012 में राज्य में बीजेपी की सरकार थी. तब भी इस तरह की मांग उठी थी. उस वक्त सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा था कि वह कर्नाटक के लिए लाल और पीले  रंग के झंडे को नहीं अपना सकती है क्योंकि एक अलग झंडा देश की एकता और अखंडता के खिलाप होगा. 

झंडे की मांग का बीजेपी सरकार ने किया था विरोध

उस वक्त जब यह मसला जब राज्य विधानसभा में उठा था कन्नड़ और संस्कृति मंत्री गोविंद एम कारजोल ने कहा था, ' झंडा कोड राज्यों के लिए झंडे की अनुमति नहीं देता है. हमरा राष्ट्रीय ध्वज भारत की एकता और अखंडता और संप्रभता का प्रतीक है.अगर राज्यों का अपने अलग झंड़े होंगे तो यह राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को कम करेगा. इसके साथ यह प्रांतवाद की भावनाओं को भी भड़का सकता है.'

सीएम ने साधा बीजेपी पर निशाना

इस मुद्दे पर मीडिया से बातचीत करते हुए कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने सवाल किया कि क्या संविधान में कोई ऐसा प्रावधान है जो कि राज्य को अपना झंडा रखने से रोकता हो. उन्होंने कहा कि इस मसले का चुनाव से कुछ लेना-देना नहीं है. अगर बीजेपी इसका विरोध कर रही है तो यह बात सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं कहती कि वह राज्य के झंडे के खिलाफ है.  

पार्टी की राय सरकार से अलग

हालांकि इस मसले पर पार्टी की राय सरकार से अलग नजर आ रही है. कांग्रेस के कर्नाटक इंचार्ज  के.सी.वेणुगोपाल ने कहा, 'मैंने इस मसले पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. हमार सिर्फ एक ही झंडा है और वह है हमारा राष्ट्रीय ध्वज.'

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