कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि आज आर्थिक विकास दर पांच प्रतिशत है. लेकिन सिर्फ यही चिंता का कारण नहीं है. आज भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को विकृत किया जा रहा है.
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पटना : कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने आज दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर बरसे. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP)- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के दूसरे कार्यकाल को 96 दिन बीत चुके हैं. इस कार्यकाल में जो तीन शब्द जो प्रभावित करते हैं, वे हैं दमन, अत्याचार और अराजकता.
उन्होंने कहा कि आज आर्थिक विकास दर पांच प्रतिशत है. लेकिन सिर्फ यही चिंता का कारण नहीं है. आज भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को विकृत किया जा रहा है. भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद खतरे में है.
मनीष तिवारी ने कहा कि पीएम मोदी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व मजबूत हैं. गृह मंत्री ने भी इसे दोहराया. लेकिन क्या कभी किसी ने वास्तव में सवाल किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों के संदर्भ में इसका क्या मतलब है.
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उन्होंने कहा कि चीन के विपरीत, भारत अनिवार्य रूप से एक निजी अर्थव्यवस्था है. सरकार के व्यय और निवेश को छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों या निवेशकों का कोई विश्वास नहीं है. यही कारण है कि हमारी जीडीपी में कृषि का हिस्सा 14% के निम्न स्तर तक गिर गया है. कृषि जो भारत के 65% लोगों को रोजगार और जीविका प्रदान करती है. मुद्रा योजना पूरी तरह विफल रही है. इसमें दिए गए ऋणों में से मात्र 10% ऋण ही नए रोजगार पैदा करने में सफल हो पाए हैं, जबकि 90% ऋण विफल रहे हैं.
विनिर्माण क्षेत्र में मांग नहीं होने के कारण देश के महत्वपूर्ण उद्योग मात्र 2.1% की दर से बढ़ रहे हैं. ग्रामीण भारत में लोगों के पास पार्ले जी का एक पैकेट खरीदने के लिए 5 रुपये का अधिशेष भी नहीं है. लोगों के पास कोई आय उपलब्ध नहीं है. यह आरोप मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर लगाया है.
कश्मीर मुद्दे पर भी उन्होंने मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि पिछले एक महीना से कश्मीर में जन-जीवन पूरी तरह से ठप है. जम्मू और कश्मीर एक अघोषित आपातकाल की स्थिति में है, जहां नागरिक अधिकारों का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है. असम में भी यही स्थिति है. पिछली एनआरसी लिस्ट के बाद 19 लाख से अधिक लोगों को राज्य-विहीन कर दिया गया है. क्या भारत सरकार के पास इन लोगों के लिए कोई नीति है?