P Chidambaram: कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार को वॉर्निंग दी है कि अगर हमारी सरकार अमेरिकी टैरिफ को लेकर वॉर्निंग जारी की है अगर हमें इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, नहीं तो हम 3-6 महीने में बर्बाद हो जाएंगे.
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P Chidambaram: कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता पी चिदंबरम ने सरकार से मांग की है कि वो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ज़रिए 'टैरिफ वॉर' की धमकी पर भारत की प्रतिक्रिया स्पष्ट करे. उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर न तो संसद में कोई चर्चा हुई है और न ही विपक्षी पार्टियों से कोई सलाह मशविरा किया गया है. चिदंबरम ने सुझाव दिया कि भारत को उन देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए जो इसी तरह के हित रखते हैं और ट्रंप की नीतियों का विरोध करना चाहते हैं. इस मौके पर चिदंबरम ने वॉर्निंग दी है कि अगर ट्रंप अलग-अलग देशों पर अलग-अलग टैरिफ लगाते हैं तो प्रभावित देशों को अकेले ही इसका सामना करना पड़ेगा.
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर भारत सरकार को लगता है कि अमेरिका कभी आगे बढ़ता है और कभी पीछे हटता है, तो इसके लिए उसे एक ठोस नीति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां अनिश्चित नहीं हो सकतीं. अगर अमेरिका एक कदम आगे बढ़ता है तो भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी? अगर वह दो कदम पीछे हटता है तो भारत क्या करेगा? इसका कोई ठोस जवाब सरकार के पास होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की नीति को पूरी दुनिया के सामने रखने की जरूरत नहीं है, लेकिन कम से कम संसद में इस पर बयान आना चाहिए या फिर विपक्षी दलों के साथ इस पर चर्चा होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी दावा किया कि खुद सरकार के ज्यादातर मंत्री भी इस मुद्दे पर अनजान हैं. उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका की अनिश्चित नीतियों का जवाब देने की रणनीति कौन बना रहा है? उन्होंने कहा कि सरकार अचानक और बिना सोचे-समझे फैसले ले रही है, जैसे बजट भाषण में 2% टैक्स हटा दिया गया और कुछ दिन पहले 6% डिजिटल सेवा कर (गूगल टैक्स) खत्म करने का ऐलान कर दिया गया है. उन्होंने पूछा कि सरकार और कितनी रियायतें देने जा रही है?
अमेरिका के ज़रिए ऑटोमोबाइल और कार पार्ट्स पर 25 फीसद टैरिफ लगाने के फैसले से भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को बड़ा झटका लग सकता है. हालांकि भारत अमेरिका को ज्यादा कारें निर्यात नहीं करता, लेकिन टाटा मोटर्स की लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर का अमेरिकी बाजार में बड़ा हिस्सा है. इसके अलावा, भारतीय ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री भी प्रभावित होगी, क्योंकि इसकी कुल कमाई का लगभग 20 फीसद निर्यात से आती है, जिसमें से 27 फीसद अकेले अमेरिकी बाजार से होता है.
चिदंबरम ने कहा कि भारत को अपने हितों को पहल देनी चाहिए और अन्य देशों के साथ मिलकर अमेरिका की एकतरफा नीतियों का विरोध करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत टैरिफ को बदला नहीं जा सकता. उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री की मिसाल देते हुए कहा कि उन्होंने अपने देश की संसद को विश्वास में लिया और यूरोपीय देशों के साथ मिलकर ट्रंप की टैरिफ नीति का सामना करने की योजना बनाई.
इसी तरह तेल का प्रोडक्शन करने वाले देश भी मिलकर अपनी रणनीति बना रहे हैं. भारत एक बड़ा कृषि, वस्त्र और औद्योगिक सामान निर्यातक देश है, इसलिए उसे भी ऐसे देशों के साथ मिलकर एक संयुक्त नीति बनानी चाहिए. उन्होंने वॉर्निंग दी कि अगर ट्रंप किसी एक देश को चुनकर टैरिफ बढ़ाते हैं और बाकी देशों को छोड़ देते हैं, तो उस देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी. अगर भारत को निशाना बनाया गया और बाकी देशों को टैरिफ से छूट दी गई, तो भारत को अकेले ही नुकसान झेलना पड़ेगा. इसलिए भारत को पहले से ही कदम उठाने चाहिए ताकि उसे इस तरह की स्थिति का सामना न करना पड़े.