Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में इस दिग्गज का पर्चा खारिज, अब इन दो नेताओं के बीच होगी टक्कर
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Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में इस दिग्गज का पर्चा खारिज, अब इन दो नेताओं के बीच होगी टक्कर

Kharge vs Tharoor:  झारखंड के पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी के कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र को शनिवार को खारिज कर दिया गया. अब केवल खड़गे और थरूर के बीच मुकाबला होगा.

Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में इस दिग्गज का पर्चा खारिज, अब इन दो नेताओं के बीच होगी टक्कर

KN Tripathi Nomination: कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. पार्टी के दिग्गज नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया. वहीं इस चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. झारखंड के पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी के कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र को शनिवार को खारिज कर दिया गया, जिससे अब मुकाबला पार्टी के दो दिग्गज नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच होगा.

मधुसूदन मिस्त्री ने दी जानकारी

तीनों नेताओं ने शुक्रवार को नामांकन पत्र भरा था. नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर थी. कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान कुल 20 फॉर्म मिले तथा उनमें से चार को खारिज कर दिया गया है.

अब खड़गे और थरूर के बीच मुकाबला

गौरतलब है कि खड़गे ने 14 फॉर्म भरे थे, जबकि थरूर ने पांच और त्रिपाठी ने एक फॉर्म भरा था. मिस्त्री ने कहा कि त्रिपाठी का फॉर्म खारिज कर दिया गया है, क्योंकि उनके एक प्रस्तावक के हस्ताक्षर का मिलान नहीं हुआ और एक अन्य प्रस्तावक के हस्ताक्षर में दोहराव था.

कौन हैं केएन त्रिपाठी?

बता दें कि केएन त्रिपाठी का पूरा नाम कृष्णानंद त्रिपाठी हैं. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में डाल्टनगंज विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरते हुए जो हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक वे 41 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं. उनकी गिनती झारखंड में कांग्रेस के मुखर नेताओं में होती है. 50 वर्षीय त्रिपाठी ने एयरफोर्स में लगभग नौ साल तक नौकरी करने के बाद वर्ष 2000 से झारखंड के पलामू इलाके में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था. वह 2009 में डाल्टनगंज से विधायक चुने गये थे और राज्य सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे. इसके बाद वह कभी विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन अपने बयानों और पार्टी से इतर अपनी सक्रियता को लेकर चर्चा में रहते हैं.

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