त्रिपुरा: राहुल गांधी का नहीं दिखा असर, केवल 1 सीट पर कांग्रेस को बढ़त
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त्रिपुरा: राहुल गांधी का नहीं दिखा असर, केवल 1 सीट पर कांग्रेस को बढ़त

एक दौर में सत्‍ताधारी माकपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर होती थी लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस स्‍पेस को बीजेपी ने कैप्‍चर कर लिया है.

रुझानों के मुताबिक राहुल गांधी के प्रचार के बावजूद त्रिपुरा में कांग्रेस की राह आसान नहीं दिख रही है.(फाइल फोटो)

त्रिपुरा में कांग्रेस का प्रदर्शन कोई खास नहीं दिख रहा है. राहुल गांधी के प्रचार के बावजूद कांग्रेस बड़ी मुश्किल से केवल एक सीट पर बढ़त बनाती दिख रही है. एक दौर में सत्‍ताधारी माकपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर होती थी लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस स्‍पेस को बीजेपी ने कैप्‍चर कर लिया है. 2014 लोकसभा चुनावों के बाद से लगातार बीजेपी सूबे की सियासत में अहम धुरी बन कर उभरती गई है. उन चुनावों में पहली बार बीजेपी को सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट मिले थे. उसके बाद से बीजेपी का सियासी ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है.

  1. शुरुआती रुझानों में माकपा और कांग्रेस को बढ़त
  2. बीजेपी को मिल रही है बड़ी बढ़त
  3. 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को छह प्रतिशत वोट मिले

इस राज्‍य में आदिवासियों की बड़ी आबादी है. करीब 25 सीटों पर इनका जबर्दस्‍त प्रभाव है. बीजेपी ने इस वोट बैंक को अपना कैडर बनाने के लिए पिछले एक साल से बड़ी मेहनत की है. इसका नतीजा पीएम मोदी की चुनावी रैलियों में उमड़ी जबर्दस्‍त भीड़ के रूप में देखने को भी मिला.

माणिक सरकार
इसके साथ ही पिछले दो दशकों से त्रिपुरा की सत्‍ता के निर्विवाद चेहरा रहे माकपा(सीपीएम) नेता मुख्‍यमंत्री माणिक सरकार इस बार अब तक की सबसे कड़ी सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं. वैसे तो माकपा का शासन त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से हैं और माणिक सरकार 1997 से राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं लेकिन इस बार उनको पहली बार बीजेपी के रूप में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

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बीजेपी की रणनीति
कांग्रेस की सूबे की सत्‍ता से साफ होने और उसकी जगह पिछली बार तृणमूल कांग्रेस के उभार लेकिन बाद में आंतरिक टूट-फूट का सीधा लाभ बीजेपी को मिला है. इसलिए इस बार त्रिपुरा में पहली बार सीधी लड़ाई माकपा के नेतृत्‍व में वाम मोर्चे और बीजेपी के बीच मानी जा रही है. त्रिपुरा में माकपा की सबसे बड़ी पूंजी माणिक सरकार की स्‍वच्‍छ छवि मानी जा रही है. बीजेपी इस बात को अच्‍छी तरह से जानती है. इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे पहली चुनावी रैली मुस्लिम बहुल इलाके सोनामुरा में की थी. इसके जरिये बीजेपी ने माणिक सरकार को सीधी चुनौती दी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि माणिक सरकार इसके पड़ोस में स्थित धनपुर सीट से चुनाव लड़ते हैं. हालांकि शुरुआती रुझानों में वह आगे चल रहे हैं.  

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2014 लोकसभा चुनाव
2014 लोकसभा चुनावों के बाद से बीजेपी लगातार अपनी पकड़ बनाने के लिए यहां प्रयास करती रही है. ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि पहली बार आम चुनावों में बीजेपी को त्रिपुरा में लेफ्ट मोर्चा के बाद सबसे अधिक छह प्रतिशत वोट मिले. उसके बाद पिछले एक साल से पार्टी वहां अपने कैडर को बनाने के लिए प्रयासरत रही है. इसका नतीजा तब देखने को मिला, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने सोनामुरा रैली के जरिये बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया तो उसमें उपस्थित भारी भीड़ ने इसका अहसास कराया कि अबकी बार बीजेपी यहां मजबूत होकर उभरेगी.

एक्जिट पोल के नतीजे
उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के बाद दो एक्जिट पोल के नतीजों में वाम मोर्चा की सरकार की जगह भाजपा सरकार आने का पूर्वानुमान लगाया गया है. एक्जिट पोल के अनुसार मेघालय और नगालैंड में भी भाजपा अपनी स्थिति मजबूत करेगी. जन की बात-न्यूज एक्स ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है कि त्रिपुरा में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन को 35 से 45 के बीच सीटें मिल सकती हैं. वहीं एक्सिस माई इंडिया द्वारा मतदान के बाद कराये गये पोल में इस गठजोड़ को 44 से 50 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गयी है.

दोनों पोल में त्रिपुरा में वाम मोर्चा को क्रमश: 14 से 23 सीटें और 9 से 15 सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की गई है. सी-वोटर के एक्जिट पोल में त्रिपुरा में कांटे की टक्कर बताई गयी है और माकपा को 26 से 34 सीटें मिलने की संभावना जताई गयी है वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 24 से 32 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.

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