नई दिल्ली: पशु अधिकारों की बात कर करने वाली अंतरराष्ट्रिय संस्था PETA ने रक्षाबंधन पर विवादित अपील की है. PETA ने गाय का नाम लेकर, लेदर फ्री रक्षाबंधन कैंपेन चलाया है. ऐसे में इस पूरे कैंपेन की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं. PETA पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लग रहा है. वहीं सवाल ये भी पूछे जा रहे हैं कि आखिर गाय को बचाने वाले पोस्टर पर PETA ने रक्षाबंधन क्यों लिखा? ये जानते हुए भी कि रक्षाबंधन और चमड़े के इस्तेमाल के बीच इस त्योहार में कोई संबंध नहीं है. फिर भी PETA का ये कैंपेन क्यों.
अहमदाबाद, भोपाल, चंडीगढ़, पुणे में बोर्ड लगाए गए हैं. इस कैंपेन को लेकर PETA को आलोचना भी झेलनी पड़ी है. हर कोई पेटा इंडिया से यही सवाल पूछ रहा है, कि आखिर रक्षाबंधन में लेदर का उपयोग कहां होता है. इस्कॉन ने भी पेटा पर सवाल उठाए हैं और हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है.
PETA क्या है?
PETA एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. इसकी स्थापना 22 मार्च, 1980 को हुई थी. अमेरिका के वर्जीनिया में PETA का मुख्यालय है. साल 2000 में मुंबई में PETA इंडिया की स्थापना हुई. ये संस्था पशु अधिकारों के लिए काम करती है. PETA विश्व का सबसे बड़ा पशु अधिकार संगठन है और पूरी दुनिया में इसके 60 लाख से ज्यादा सदस्य हैं.
PETA का 'पाखंड'
1- 2015 में तमिलनाडु में हाथियों की परेड का विरोध.
2- 2017 में तमिलनाडु के जल्लीकट्टू का विरोध.
3- 2017 में धार्मिक कार्यों में हाथियों के इस्तेमाल का विरोध.
4- 2017 में नागपंचमी पर नागों की पूजा का विरोध.
5- 2018 में जन्माष्टमी पर गाय के दूध के उपयोग का विरोध.
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