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Babul Supriyo swearing in Controversy: पश्चिम बंगाल की सियासत में सरकार और राज्यपाल के बीच लड़ाई कोई नई बात नहीं है. आए दिन ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की सरकार और गवर्नर जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के बीच किसी ने किसी मुद्दे पर विवाद हो जाता है. अब नया विवाद टीएमसी के नवनिर्वाचित विधायक बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) के शपथ ग्रहण को लेकर शुरू हुआ है.
बालीगंज विधान सभा सीट पर हुए उपचुनाव में बाबुल सुप्रियो ने जीत दर्ज की है. लेकिन उनके शपथ ग्रहण को लेकर पेंच फंस गया है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विधान सभा में उनके शपथ ग्रहण से जुड़ी फाइल वापस कर दी जिससे बाद यह विवाद पैदा हो गया.
दरअसल बाबुल की जीत के बाद स्पीकर की ओर से दस्तावेजों की एक फाइल राज्यपाल को भेजी गई थी. इस फाइल के जरिए ही विधान सभा में नए विधायक बाबुल सुप्रियो का शपथ ग्रहण होना था. लेकिन राज्यपाल ने दस्तावेजों की कमी का हवाला देकर यह फाइल वापस कर दी और विधान सभा के सेक्रेटरी को तलब किया है.
राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि वह फाइल पर तभी दस्तखत करेंगे जब विधान सभा को लेकर पूछे गए सभी सवालों के जवाब उन्हें दिए जाएंगे. बाबुल ही अकेले ऐसे विधायक हैं जिनका शपथ ग्रहण होना है. राज्यपाल के सवालों पर विधान सभा सचिवालय का कहना है कि उनके हर सवाल का जवाब पहले दी दिया जा चुका है. अब तक विधान सभा में बाबुल के शपथ ग्रहण की तारीख तय नहीं हो पाई है.
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अब इस विवाद के बाद फिर से राज्यपाल टीएमसी नेताओं के निशाने पर हैं. पार्टी के महासचिव कुणाल घोष ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति को यह नहीं करना चाहिए. उन्होंने राज्यपाल पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया और कहा कि वह हर कदम पर राज्य सरकार के काम में अड़चन पैदा करते हैं.
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