ब्रिटेन और इटली के शोधकर्ताओं द्वारा किए शोध में SARS-CoV-2 पर केंद्रित कुल 79 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया. गौरतलब है कि SARS-CoV-2 वो वायरस है जो महामारी का मूल कारण है.
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नई दिल्ली : दुनिया भर में कोरोना (Corona ) का कहर जारी है. यूरोप के कई देशों में दोबारा लॉकडाउन करना पड़ा है. भारत में संक्रमित लोगों की संख्या 90 लाख के पार हो चुकी है. ऐसे समय में एक बड़ी जानकारी सामने आई है. 'द लांसेट माइक्रोब' (The Lancet Microbe) में छपी रिपोर्ट के मुताबिक Covid-19 संक्रमित मरीज के शरीर में इस वायरस का अंश 83 दिनों तक रह सकता है जबकि आम तौर पर ऐसा नहीं होता है.
तीन महीने तक शरीर में रहा कोरोना
अभी तक हुई रिसर्च और स्टडी के मुताबिक, किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति में वायरस के लक्षण विकसित होने के बाद 9 दिनों तक इसकी उपस्थिति रहती है. लेकिन विदेश में हुए एक परीक्षण के दौरान शरीर में वायरस की मौजूदगी करीब 3 महीने तक रही. ब्रिटेन और इटली के शोधकर्ताओं द्वारा किए शोध में SARS-CoV-2 पर केंद्रित कुल 79 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया. गौरतलब है कि SARS-CoV-2 वो वायरस है जो महामारी का मूल कारण है.
शोध के सह लेखक और डॉक्टर एंटोनियो हो, के मुताबिक शोध अस्पताल में भर्ती मरीजों पर हुआ. जिन मरीजों पर वायरस का प्रभाव कम था उन पर इस शोध के परिणामों को लागू नहीं किया जा सकता हैं. हालांकि परिणाम का आकलन करने के बाद ये जरूर कहा जा सकता है कि जिनके शरीर पर वायरस का प्रभाव कम होता है उनके शरीर से वायरस तेजी से बाहर निकल सकता है.
'द लांसेट माइक्रोब' (The Lancet Microbe) की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमित व्यक्ति के लिए शुरुआती 5 दिन बहुत अहम होते है, इसलिए जितना जल्दी हो सके उन्हें आइसोलेट कर देना चाहिए. शोध के प्रमुख लेखक, डॉक्टर मुगे सेविक के मुताबिक एक बार संक्रमित हो चुके व्यक्ति की दोबारा आरटी-PCR टेस्टिंग कराने की जरूरत नहीं होती.