DNA ANALYSIS: चीन का Bio Weapon है कोरोना? अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ लगे सीक्रेट दस्तावेज
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DNA ANALYSIS: चीन का Bio Weapon है कोरोना? अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ लगे सीक्रेट दस्तावेज

कोरोना को लेकर चीन 2015 से ही रिचर्स कर रहा है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी को जांच के दौरान मिले एक सीक्रेट रिसर्च पेपर में इसका खुलासा हुआ है. इसमें लिखा है कि कोरोना को जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

DNA ANALYSIS: चीन का Bio Weapon है कोरोना? अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ लगे सीक्रेट दस्तावेज

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में अब तक कोरोना वायरस (Coronavirus) से लगभग 15 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं, और लगभग 32 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले भारत में इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या ढाई लाख पहुंचने वाली है. लेकिन जिस चीन (China) से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला, वहां सबकुछ सामान्य हो चुका है. वुहान शहर में अब लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के जीवन यापन कर रहे हैं. 

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का दावा

ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल है कि चीन ने ऐसा क्या किया कि वहां अब कोरोना वायरस नियंत्रित हो गया? इस सवाल का जवाब एक रिसर्च पेपर के जरिए सामने आया है. ये रिसर्च पेपर ऑस्ट्रेलिया (Australia) के एक अखबार द्वारा प्रकाशित किया गया है. इसमें ये बताया गया है कि कोरोना वायरस को जैविक हथियार (Biological Weapons) के रूप में इस्तेमाल करने की चर्चा चीन में 2015 में ही शुरू हो गई थी.

2015 से कोरोना पर रिसर्च कर रहा है चीन

उस समय चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वैज्ञानिकों और चीन के बड़े स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक रिसर्च पेपर तैयार किया था, जिसका शीर्षक था 'द अन-नेचुरल ओरिजिनल ऑफ SARC एंड न्यू  स्पीशीज ऑफ मैन-मेड वायरस एज जेनेटिक बायो-वेपन्स'. हिन्दी में इसका अर्थ है, इंसानों द्वारा विकसित किए गए वायरस की अप्राकृतिक उत्पत्ति. यानी वर्ष 2020 में जब कोरोना वायरस का पहला मामला चीन के वुहान शहर में सामने आया, उससे 5 साल पहले ही इस पर एक रिसर्च पेपर तैयार हो गया था, और इसे तैयार करने वाले चीन की सेना के वैज्ञानिक और उसके बड़े स्वास्थ्य अधिकारी थे.

क्या चीन का बायो वेपन है कोरोना वायरस!

इस रिसर्च पेपर में तब चीन के वैज्ञानिकों ने कहा था कि कोरोना वायरस बायोलॉजिकल वेपन्स के नए युग की शुरुआत कर सकता है. क्योंकि उनका मानना था कि अगर इसमें बदलाव किए गए तो ये वायरस इंसानों में बड़े पैमाने पर बीमारी फैला सकता है, जैसा कि अभी हो रहा है. इसी रिसर्च पेपर में चीन के वैज्ञानिक ये भी लिखते हैं कि अगर कोरोना वायरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया तो पूरी दुनिया में ये वायरस इस कदर फैलेगा कि इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा. जैसा चीन के वैज्ञानिकों ने 2015 में सोचा था अभी वैसा ही दुनिया में हो रहा है.

बायोलॉजिकल वेपन्स से होगा तीसरा विश्व युद्ध

जब चीन की PLA के वैज्ञानिक 2015 में इस पर शोध कर रहे थे तब उनका मानना था कि तीसरा विश्व युद्ध बायोलॉजिकल वेपन्स के आधार पर लड़ा जाएगा. क्योंकि दुनिया पहले दो विश्व युद्ध में कैमिकल और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर चुकी है, और इनसे बचने के लिए कई बड़े देशों ने आधुनिक तकनीक भी विकसित कर ली है. यानी 2015 में ही चीन ये समझ गया था कि अगर वो दूसरे देशों का मुकाबला करना चाहता है तो उसे वायरस को हथियार के रूप में विकसित करना होगा क्योंकि दुनिया के किसी भी देश के पास वायरस से बचने की तकनीक नहीं है. 

अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने ढूंढा था रिसर्च पेपर

इस रिसर्च पेपर की सबसे बड़ी बात ये है कि चीन ने आज से 6 वर्ष पहले ही ये मान लिया था कि कोरोना वायरस को युद्ध में भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इसे लंबे समय तक जिंदा रखने की क्षमता भी चीन के पास है. ऑस्ट्रेलिया के जिस अखबार ने रिपोर्ट प्रकाशित की है, उसमें बताया गया है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने अपनी जांच के दौरान ये रिसर्च पेपर हासिल किया था, जिसे दूसरे देशों के साथ भी शेयर किया गया और अब ये रिसर्च पेपर पूरी दुनिया के सामने आ चुका है.

कुछ गलत नहीं किया तो घबराता क्यों है?

अब इसे लेकर जिन बातों पर जोर दिया जा रहा है, उसे जान लीजिए. पहली बात ये कि चीन कोरोना वायरस को जैविक हथियार के रूप में विकसित कर रहा था और संभव है कि उसी ने ये वायरस इंसानों के बीच फैलाया. दूसरी बात ये कि मुमकिन है कि चीन जब कोरोना वायरस को विकसित कर रहा था तो ये वायरस वुहान लैब से लीक हुआ और इंसानों के बीच फैल गया. चीन पर ये प्रश्न इसलिए भी उठते हैं कि क्योंकि उसने कभी भी इसकी जांच के लिए WHO को सहयोग नहीं किया. अगर वो सही है और ये वायरस उसकी लैब से इंसानों के बीच नहीं फैला तो वो जांच के घबराता क्यों है? ये बड़ा सवाल है. इसी सवाल का जवाब ढूंढते हुए अमेरिका की खुफिया एजेंसियां इस रिसर्च पेपर तक पहुंची और अगर इस रिसर्च पेपर को पूरी तरह सही मान लें तो ये कहना ग़लत नहीं होगा कि कोरोना वायरस से मारे गए 32 लाख लोगों की हत्या हुई और इस नरसंहार के लिए चीन ही जिम्मेदार है. भारत में भी अभी जो हालात हैं, वो चीन के ही कोरोना वायरस के कारण हैं.

अब दुनिया के सामने अच्छा बन रहा चीन

यहां हम आपको एक और बात बताना चाहते हैं और वो ये कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले भारत कई देशों को वैक्सीन भेज रहा था. इससे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि मजबूत हो रही थी, लेकिन फिर जैसे ही भारत दूसरी लहर की चपेट में आया, चीन ने इसे एक मौके की तरह लिया और वो इसका फायदा उठा कर अब अपनी छवि को चमकाने में जुट गया है. इस समय चीन अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्री लंका को दवाइयां भेजने का वादा कर रहा है और भारत को भी मेडिकल सप्लाई भेज रहा है. चीन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि दुनिया ये भूल जाए कि ये महामारी चीन से ही शुरू हुई थी. चीन ऐसा करके दुनिया का ध्यान उस किताब से भी हटाना चाहता है, जो कोरोना वायरस को लेकर लिखी जा रही है. और ये रिसर्च पेपर भी इसी किताब में प्रकाशित होने वाला है.

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