एक खौफनाक सच! कोरोना टेस्ट की लिए भटकता रहा पुलिसकर्मी, कार में ही तोड़ दिया दम
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एक खौफनाक सच! कोरोना टेस्ट की लिए भटकता रहा पुलिसकर्मी, कार में ही तोड़ दिया दम

नई दिल्ली में कोरोना संक्रमितों मरीजों की हालत क्या होगी, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली पुलिस के कोरोना वॉरियर को भी मरने के 6 दिन बाद तक कोरोना के टेस्ट करवाने के लिए इंतजार करना पड़ा.

एक खौफनाक सच! कोरोना टेस्ट की लिए भटकता रहा पुलिसकर्मी, कार में ही तोड़ दिया दम

नई दिल्ली: नई दिल्ली में कोरोना संक्रमितों मरीजों की हालत क्या होगी, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली पुलिस के कोरोना (Corona) वॉरियर को भी मरने के 6 दिन बाद तक कोरोना के टेस्ट करवाने के लिए इंतजार करना पड़ा. टेस्ट करवाने के लिए वो अस्पतालों के चक्कर काटते रहे और आखिर में अपनी गाड़ी में ही दम तोड़ दिया.

दिल्ली के अस्पतालों ने आखिरकार उनकी मौत के 6 दिन बाद उनका कोरोना का टेस्ट किया जिसमें वो पॉजिटिव आए. उसके बाद शव को परिवार के सुपुर्द किया गया. कोरोना काल मे किसी के भी दिल को दहला देने वाली इस घटना ने दिल्ली सरकार के उन तमाम दावों की पोल खोल दी जिसमें वो कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई की तैयारियों का दम भरते हैं. अब सब-इंस्पेक्टर की पत्नी की शिकायत पर अस्पतालों की लापरवाही की जांच की जा रही है.

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दरअसल, पुलिस के मुताबिक 56 साल के सब-इंस्पेक्टर रामलाल बोरघरे पश्चिमी जिले की लीगल सेल में तैनात थे. वो अपने परिवार के साथ प्रताप विहार में रहते थे. उन्हें 5-6 दिन से बुखार आ रहा था. 1 जून को सुल्तानपुरी में एक क्लीनिक में उनका टेस्ट हुआ तो जांच में पता चला कि उन्हें टाइफाइड है. उसके बाद उन्हें तेज बुखार और सांस लेने की तकलीफ के चलते 2 जून को पंजाबी बाग के एमजीएस अस्पताल ले जाया गया. वहां से उन्हें कोरोना की जांच के लिए डीडीयू अस्पताल रेफर कर दिया गया.

वहां से रामलाल को गोल्डन ट्यूलिप सेंटर कोरोना की जांच के लिए भेज दिया गया, लेकिन वहां उनकी कोरोना की जांच नहीं हुई क्योंकि डीडीयू अस्पताल ने जांच के लिए जो रेफर पर्ची दी थी वो स्वीकार नहीं की गई. उसके बाद वो वापस पंजाबी बाग के एमजीएस अस्पताल ले जाए गए. वहां कहा गया अब उनका कोरोना टेस्ट अगले दिन यानि 3 जून को होगा.

दरअसल ये अस्पताल कोरोना की जांच किसी लैब से कराता था. 3 जून को रामलाल का बेटा अपनी कार में लेकर एमजीएस अस्पताल कोरोनो की जांच के लिए पहुंचा. रामलाल अस्पताल के बाहर कार में बैठे थे और उनका बेटा आकाश अंदर टेस्ट के बारे में पता करने गया. इसी बीच आकाश की मां ने फोन किया कि रामलाल की तबियत खराब हो रही है. बेटा भागकर बाहर आया और पिता को अस्पताल के अंदर ले गया और शाम 6:50 बजे एमजीएस अस्पताल ने रामलाल को मृत घोषित कर दिया. 

अस्पताल ने रामलाल की डेथ समरी में मौत की वजह सांस लेने की तकलीफ के चलते हार्ट अटैक लिखी. इसके बाद आकाश के एक दोस्त ने पीसीआर कॉल कर शिकायत की और कहा कि रामलाल की मौत कोरोना के चलते हुई है लेकिन रात पौने 9 बजे तक उनकी कोरोना की जांच नहीं कि गई. उसके बाद 4 जून को पुलिस ने एसडीएम पंजाबी बाग को पत्र लिखकर रामलाल के शव से कोरोना के सैंपल लेने के लिए कहा. 

इसके बाद एसडीएम पंजाबी बाग में संजय गांधी अस्पताल के एमएस को लेटर लिखकर रामलाल की कोरोनो जांच करने के लिए कहा, लेकिन 6 जून को संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने शव से कोरोना के सैंपल लेने से यह कहते हुए मना कर दिया कि दिल्ली सरकार के आदेश के हिसाब से डेड बॉडी से कोरोनो के सैंपल नहीं ले सकते. उसके बाद 6 जून को मृतक रामलाल की पत्नी ने पुलिस में शिकायत कर एमजीएस अस्पताल की लापरवाही की जांच करने के लिए कहा. 

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8 जून पश्चिमी दिल्ली के डीसीपी ऑफिस ने पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य को एक मेडिकल बोर्ड बनाकर रामलाल के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए कहा, जिससे रामलाल की पत्नी के आरोपों की जांच हो सके. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को एक मेडिकल बोर्ड बनाकर रामलाल के पोस्टमॉर्टम का आदेश दिया. फिर 9 जून को रामलाल के शव को लेडी हार्डिंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया. डॉक्टरों ने रामपाल के कोरोना जांच के लिए सैंपल लिए.10 जून को रामलाल की कोरोनो की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर नियम के हिसाब से फिर रामलाल का पोस्टमार्टम नहीं किया गया और उसके बाद रामलाल के घरवालों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया.

दिल्ली पुलिस में कोरोनो से अब तक 7 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है. शनिवार को क्राइम ब्रांच में तैनात 53 साल के एएसआई संजीव कुमार की जीटीबी अस्पताल में कोरोना से मौत हो गई. संजीव मरकज मामले की जांच से जुड़े थे और जांच सिलसिले में वो छापेमारी पर गए थे. दिल्ली में पुलिस वालों की कोरोना से हो रही मौत पर पूरी दिल्ली पुलिस गमगीन है.

दिल्ली समेत देश भर में कोरोना से हो रही रोजाना सैंकड़ो मौतों के आंकड़े भले ही लोगों को डराते होंगे लेकिन दिल्ली पुलिस के एक कोरोना वॉरियर की इस दर्दनाक मौत की कहानी ने कम से कम दिल्ली सरकार के उन दावों की पोल जरूर खोल दी है जिसने कोरोना काल से पहले दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को वर्ल्ड क्लास बनाने के दावे किए थे. जो सरकार अपने स्वास्थ्य और शिक्षा के मॉडल पर तीसरी बार सत्ता में आई है. लेकिन अब जब असली परीक्षा की घड़ी आई है तो दिल्ली सरकार उस छात्र की तरह फैल हो रही है जो पिछले तीन साल से सिर्फ नकल करके पास हो रहा था.

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