गीता को अपनी बेटी बताने वाले दम्पति इंदौर पहुंचे, डीएनए टेस्ट को तैयार
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गीता को अपनी बेटी बताने वाले दम्पति इंदौर पहुंचे, डीएनए टेस्ट को तैयार

पाकिस्तान में दशक भर से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद भारत लौटी गीता के माता-पिता होने का दावा करने वाले उत्तरप्रदेश के दम्पति आज यहां पहुंचे और इस मूक-बधिर लड़की से मुलाकात की इच्छा जतायी। इस दम्पति का कहना है कि खुद को गीता के जैविक माता-पिता साबित करने के लिये वे अपना डीएनए टेस्ट कराने को भी तैयार हैं। उत्तप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले रामराज गौतम अपनी गुम बेटी की तलाश में पत्नी अनारादेवी के साथ इंदौर आये हैं।

इंदौर : पाकिस्तान में दशक भर से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद भारत लौटी गीता के माता-पिता होने का दावा करने वाले उत्तरप्रदेश के दम्पति आज यहां पहुंचे और इस मूक-बधिर लड़की से मुलाकात की इच्छा जतायी। इस दम्पति का कहना है कि खुद को गीता के जैविक माता-पिता साबित करने के लिये वे अपना डीएनए टेस्ट कराने को भी तैयार हैं। उत्तप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले रामराज गौतम अपनी गुम बेटी की तलाश में पत्नी अनारादेवी के साथ इंदौर आये हैं।

गौतम ने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि गीता ही हमारी बेटी सविता है, जो बिहार के छपरा में मेरे साले के आश्रम से 11 साल पहले गुम हो गयी थी। गीता को अपनी बेटी साबित करने के लिये मैं और मेरी पत्नी अपना डीएनए टेस्ट कराने को भी तैयार हैं।’ खेती-किसानी करने वाले इस 45 वर्षीय शख्स ने कहा, ‘मेरा साला संन्यासी है। मैंने अपनी बेटी को उसके इलाज के लिये अपने साले के आश्रम में रखा था। जब मेरी बेटी इस आश्रम से गायब हुई, तब उसकी उम्र आठ साल थी।’ उन्होंने कहा कि वह और उनकी पत्नी गीता से जल्द से जल्द मिलना चाहते हैं। वह इंदौर के जिलाधिकारी पी. नरहरि से संपर्क कर गीता से मुलाकात की मंजूरी मांगेंगे। गीता इन दिनों जिला प्रशासन की निगरानी में एक स्थानीय मूक.बधिर संगठन के आवासीय परिसर में रह रही है।

गौतम ने कहा, ‘जब हमें मीडिया के जरिये गीता की भारत वापसी की खबर मिली, तो हम उससे मिलने दिल्ली भी गये थे। लेकिन वहां हमारी उससे मुलाकात नहीं हो सकी थी। हमें उम्मीद है कि इंदौर में हमें गीता से मुलाकात की मंजूरी मिल जायेगी।’ गीता एक दशक से अधिक समय पहले गलती से सीमा लांघकर पाकिस्तान चली गयी थी। वह 26 अक्टूबर को पाकिस्तान से स्वदेश लौटी। हालांकि, स्वदेश वापसी के बाद गीता उस परिवार के सदस्यों को नहीं पहचान पायी जिन्हें उसने शुरू में तस्वीरों से पहचानने का दावा किया था। मूक-बधिरों के लिये चलाये जा रहे स्थानीय संगठन के आवासीय परिसर में गीता तब तक रहेगी, जब तक सरकार उसके परिवार को खोज नहीं लेती।

 

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