मुंबई : दक्षिणी मुंबई में रहने वाला एक बुजुर्ग दंपती तब सुर्खियों में आया था. जब साल की शुरुआत में चारणी रोड स्थित ठाकुरद्वार में रहने वाले नारायण लावटे (87) और उनकी पत्नी इरावती (78) ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की थी. समय बीतने और कोई जवाब नहीं  मिलने के चलते दंपती ने अब अपनी ही हत्या के लिए प्लान तैयार कर लिया है. इरावती ने अपने पति को पत्र लिखकर उन्हें आइडिया दिया है कि वह उन्हें मार दें, जिसके बदले में उन्हें मौत की सजा मिल जाएगी. 


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बुजुर्ग दंपती की नहीं है कोई संतान
इस बुजुर्ग दंपती की कोई संतान नहीं है और न ही कोई गंभीर बीमारी भी नहीं है, लेकिन अब उनको लगता है कि समाज में अब उनके लिए कोई जगह नहीं है और वह अपनी देखभाल करने में भी सक्षम नहीं हैं. 


नर्स अरुणा शानबाग केस से मिला आइडिया
नर्स अरुणा शानबाग ने इच्छामृत्यु के लिए केईएम अस्पताल ने दया याचिका दायर की थी, जिसे पढ़ने के बाद दंपती को इच्छामृत्यु का विचार आया था.


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पत्नी ने पत्र लिखकर दिया पति को आइडिया
रिटायर्ड स्कूल प्रिसिंपल इरावती ने महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के पूर्व सुपरवाइजर नारायण को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा कि 31 मार्च के बाद वह कभी उन्हें गला घोंटकर मार सकते हैं. इसके बदले में नारायण को भी मौत की सजा हो जाएगी. 


पत्र में क्या लिखा है ?
इरावती ने अपने पति के नाम पत्र में लिखा, 'आपने हम दोनों के लिए इच्छामृत्यु की मांग की है लेकिन मुझे लग रहा है कि राष्ट्रपति हमारी याचिका नहीं सुनेंगे. इस वजह से मुझे केवल एक हल दिखता है कि 31 मार्च के बाद आप कभी भी मेरा गला घोंटकर मुझे मार सकते हैं और इस संसार से मुक्त कर सकते हैं और यह एक योजनापूर्ण हत्या होगी इसलिए कोर्ट से आपको भी इस अपराध के लिए फांसी मिल जाएगी. उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है कि आपकी मरने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.'  


जिंदगी से ऊब चुका है दंपती
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक यह जोड़ा जिंदगी से ऊब चुका है. नारायण ने बताया कि मामला सिर्फ बोरियत होने से अलग है. उन्होंने कहा, 'हमें पता है कि हमारा स्वास्थ्य फिलहाल ठीक है कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं है लेकिन हमें अमरत्व तो प्राप्त नहीं है तो हम अपनी स्थिति के बद से बदतर होने का इंतजार क्यों करें? और तब क्या होगा जब दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाएगी।' 


मरने के बाद अंगदान करेगा दंपती
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक दंपती ने संतान पैदा नहीं कि क्योंकि वह देश की आबादी बढ़ाने को सामाजिक अपराध मानते हैं. नारायण ने बताया कि अब उनके पास अपने अपने अंग दान देने के अलावा समाज को देने के लिए कुछ नहीं है. दंपती ने अपने अंगदान के लिए मुंबई के जेजे अस्पताल में भी रजिस्टर कराया है.


21 दिसंबर को राष्ट्रपति को भेजा था पत्र
बुढ़ापे का कोई सहारा न होने का हवाला देते हुए अपना जीवन खत्म करने की आज्ञा के लिए 21 दिंसबर को एक पत्र लिखा था, दंपत्ति ने पत्र में जिक्र किया था कि वो 31 मार्च 2018 तक जवाब का इंतजार करेंगे. करीब दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिलने के बाद अब दंपत्ति मायूस है.