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नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट (Uttarakhand High Court) ने Covid-19 की संभावित तीसरी लहर (Corona Third Wave) से मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये पर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि सरकार अदालत को मूर्ख बनाना बंद करे और जमीनी सच्चाई बताए. हाई कोर्ट ने कड़े शब्दों में सरकार से कहा, ‘चीफ जस्टिस को ये ना बताएं कि उत्तराखंड में राम राज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं.'
उत्तराखंड सरकार की तरफ से संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों के दावे से अदालत पूरी तरह असंतुष्ट है. सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा, 'सरकार को कोरोना वायरस के डेल्ट प्लस (Corona Delta Plus Variant) से निपटने के लिए तैयारियां करनी चाहिए जो कि विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी अन्य प्रकार से अधिक तेजी से फैलता है.’ अदालत ने कहा, 'हमें मूर्ख बनाना छोड़िये और सच्चाई बताइये. चीफ जस्टिस को यह मत बताइये कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रह रहे हैं. हमें जमीनी हकीकत के बारे में बताइये.'
उत्तराखंड सरकार द्वारा Covid-19 से मुकाबले के लिए किए जा रहे उपायों के संबंध में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस आर एस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि कोविड का डेल्टा प्लस वेरिएंट पीछे बैठ कर सरकार को तैयारी करने का मौका नहीं देगा.पीठ ने कहा, 'डेल्टा प्लस वेरिएंट अगले तीन महीने में फैल सकता है. यह वेरिएंट महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल में पहुंच चुका है.'
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पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को आईसीयू, बेड, ऑक्सीजन और एम्बुलेंस समेत अन्य तैयारियों की जमीनी हकीकत के बारे में बताना चाहिए. अदालत ने कहा, 'क्या सरकार तब जागेगी जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे?' इसके साथ ही अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि बच्चों के संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती कदमों के बारे में हलफनामा दायर करे. मामले पर अगली सुनवाई सात जुलाई और 28 जुलाई को होगी जब सरकार को चारधाम यात्रा पर लिए गए निर्णय के बारे में अदालत को अवगत कराना होगा.
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