वीरभद्र सिंह की पत्नी की अपील पर CBI को कोर्ट का नोटिस
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वीरभद्र सिंह की पत्नी की अपील पर CBI को कोर्ट का नोटिस

दिल्ली की एक अदालत ने आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी की याचिका पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नोटिस जारी किया. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने यह याचिका अपने और पति के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में दाखिल आरोपपत्र को लेकर दायर की है.

दिल्ली की एक अदालत ने आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी की याचिका पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नोटिस जारी किया.  (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी की याचिका पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नोटिस जारी किया. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने यह याचिका अपने और पति के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में दाखिल आरोपपत्र को लेकर दायर की है.

प्रतिभा सिंह ने लगाया आरोप

प्रतिभा सिंह ने इसमें आरोप लगाया है कि जांच एजेंसी ने जांच के दौरान समुचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया. उन्होंने यह भी मांग की है कि मामले में दंपत्ति के खिलाफ दायर आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लिया जाना चाहिए. विशेष न्यायाधीश वीरेन्द्र कुमार गोयल इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं जिसमें सीबीआई ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है. आरोपपत्र में दावा किया गया है कि सिंह के पास करीब 10 करोड़ रूपये मूल्य की संपत्ति है जो कि केंद्रीय मंत्री के पद पर उनके कार्यकाल के दौरान उनकी आमदनी की 192 फीसदी अधिक है.

अंतिम रिपोर्ट नौ व्यक्तियों के खिलाफ दाखिल

अंतिम रिपोर्ट नौ व्यक्तियों के खिलाफ दाखिल की गई है जिसमें भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं 109 :उकसाना:, 465 :जालसाजी के लिए दंडनीय: के तहत दंडनीय आरोप लगाए गए हैं. इसमें 225 गवाहों से सवाल किए गए और 442 दस्तावेज संलग्न हैं. सीबीआई ने इसी साल 31 मार्च को यह आरोपपत्र दाखिल किया. इन लोगों पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार आदि के आरोप लगाए गए हैं. चौहान फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल पांच नवंबर को सिंह की याचिका हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से दिल्ली उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दी थी. तब न्यायालय ने कहा था कि वह मामले के गुणदोष के बारे में कोई विचार जाहिर नहीं कर रहा है बल्कि न्याय के हित में और न्यायपालिका को किसी शर्मिन्दगी से बचाने के लिए याचिका को स्थानांतरित किया गया है.

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