Covishield की दो डोज के बीच का गैप हो सकता है कम, सरकार कर रही विचार
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की वजह से लोगों में इंफेक्शन का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ा है. वैक्सीन की डोज को लेकर समीक्षा की जरूरत है और इस दिशा में केंद्र सरकार विचार कर रही है.
नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) की दो डोज के बीच का गैप कम किया जा सकता है. गैप को कम करने का सुझाव हेल्थ सेक्टर में काम करने वाली संस्था IAPSM यानी इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन की ओर से दिया गया है.
अब 8 हफ्ते हो सकता है गैप
इस बारे में IAPSM का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले पर विचार कर रही है. देश में इस वक्त 59 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज (Vaccine Dose) लगाई जा चुकी हैं और सरकार की तरफ से लगातार वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश हो रही है. अब दो डोज का गैप 12 हफ्ते से घटाकर 8 हफ्ते करने पर विचार किया जा रहा है.
कोविशील्ड के दोनों डोज के गैप को कम करने के लिए IAPSM ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है. संस्था का मानना है कि गैप कम करने से लोगों को जल्दी से जल्दी दोनों डोज लगाई जा सकेंगी. इससे संक्रमण का खतरा भी कम होगा. देखा गया है कि जिन लोगों ने दोनों डोज ले ली हैं उनमें एक डोज लेने वालों की तुलना में संक्रमण का खतरा कम रहता है.
केंद्र सरकार कर रही विचार
एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की वजह से लोगों में इंफेक्शन का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ा है. वैक्सीन की डोज को लेकर समीक्षा की जरूरत है और इस दिशा में केंद्र सरकार विचार कर रही है.
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आईएपीएसएम की प्रेसिडेंट डॉ सुनीला गर्ग के मुताबिक, 'वैक्सीन के गैप को कम करने के लिए हमारा सुझाव है और केंद्र इस पर विचार कर रही है. हमारी प्राथमिकता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट किया जाए, हमारी ये भी सिफारिश है कि जिन्हें इंफेक्शन हो चुका है उन्हें वैक्सीन न दी जाए.'
छह कंपनियों को मिली इजाजत
डोज के बीच गैप कम करने के पीछे हेल्थ एक्पर्ट्स की दलील है कि जब कोविशील्ड के दो डोज के बीच के अंतराल को बढ़ाकर अधिकतम 16 हफ्ते किया गया था उस वक्त देश में वैक्सीन की कमी थी. लेकिन अब देश में छह कंपनियों की वैक्सीन को इजाजत मिल चुकी है. गैप कम हुआ तो ज्यादा लोगों को पूरी तरह से वैक्सीनेट किया जा सकेगा और कोरोना मरीजों को गंभीर होने से या फिर अस्पताल में दाखिल होने से बचाया जा सकेगा.