सीपीईसी की वजह से कश्मीर पर अपना रुख नहीं बदलेगा चीन
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सीपीईसी की वजह से कश्मीर पर अपना रुख नहीं बदलेगा चीन

चीन ने कहा है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट यानी सीपीईसी की वजह से उसका कश्मीर पर रुख नहीं बदलेगा। दरअसल ब्रिटिश संसद में एक बिल पेश किया गया है जिसमें पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना 5वां राज्य घोषित करने पर चिंता जताई गई थी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीपीईसी शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

सीपीईसी की वजह से कश्मीर पर अपना रुख नहीं बदलेगा चीन

बीजिंग/नई दिल्ली : चीन ने कहा है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट यानी सीपीईसी की वजह से उसका कश्मीर पर रुख नहीं बदलेगा। दरअसल ब्रिटिश संसद में एक बिल पेश किया गया है जिसमें पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना 5वां राज्य घोषित करने पर चिंता जताई गई थी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीपीईसी शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

कुछ दिनों पहले ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमेन ने एक बिल पेश किया था। बॉब कश्मीरी पंडितों के समर्थक माने जाते हैं। बिल में कहा गया कि पाकिस्तान ने 1947 से गिलगित-बाल्टिस्तान पर अवैध कब्जा किया हुआ है। इस प्रकरण में पाकिस्तान जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, उससे इस इलाके में तनाव बढ़ सकता है। 

चीन ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा- सीपीईसी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसका मकसद इस इलाके के लोगों का विकास करना है। लेकिन, इसकी वजह से कश्मीर पर हमारा स्टैंड नहीं बदलेगा। ब्रिटिश संसद में लाए गए बिल पर प्रवक्ता ने कहा- ये सिर्फ एक प्रस्ताव है, रिजोल्यूशन पास नहीं किया गया है।

चीन के दबाव में लिया पाक ने यह फैसला
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आजादी के 70 साल बाद गिलगित-बाल्टिस्तान को 5वें राज्य के तौर पर दर्जा दिए जाने का फैसला वास्तव में चीन के दबाव का नतीजा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन इस इलाके को विवादित नहीं रहने देना चाहता क्योंकि सीपीईसी का ज्यादातर हिस्सा गिलगित-बाल्टिस्तान में ही है। प्रवक्ता ने कहा- कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला है और दोनों देशों को आपसी बातचीत से इसे सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा- जहां तक सीपीईसी का मसला है, तो ये चीन और पाकिस्तान के बीच का फ्रेमवर्क है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम कश्मीर पर अपनी नीति बदल लेंगे। 

कॉरिडोर से चीन को कई फायदे
इस कॉरिडोर से चीन तक क्रूड ऑयल की पहुंच आसान हो जाएगी। चीन में आयात होने वाला 80 प्रतिशत क्रूड ऑयल मलक्का की खाड़ी से शंघाई पहुंचता है। अभी करीब 16 हजार किमी. का रास्ता है, लेकिन सीपीईसी से ये दूरी 5000 किमी घट जाएगी। चीन अरब सागर और हिंद महासागर में पैठ बनाना चाहता है। ग्वादर पोर्ट पर नेवी ठिकाना होने से चीन अपने बेड़े की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर सकेगा।

जहां तक सीपीईसी पर भारत के एतराज की बात है तो सीपीईसी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मौजूद ग्वादर पोर्ट और चीन के शिनजियांग को जोड़ेगा। सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्तिस्तान इलाके से भी गुजरता है, जिस पर भारत का दावा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीपीईसी के मुद्दे पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में एतराज जता चुके हैं, लेकिन चीन ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी।

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