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DNA: यूपी में अपराधी तो बंगाल में सिस्टम 'लंगड़ा'? कहीं दंगाई भागते हैं तो कहीं पीड़ित

Rape case: अब अपराध के खिलाफ योगी मॉडल बनाम ममता मॉडल का DNA टेस्ट करेंगे. क्योंकि महिला सुरक्षा ऐसा मुद्दा है जिस पर हर सरकार, हर राजनीतिक पार्टी बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जब बात डाटा की होती है तब असलियत सामने आ जाती है. अब हम महिला सुरक्षा के 2 मॉडलों की बात करने जा रहे हैं.

DNA: यूपी में अपराधी तो बंगाल में सिस्टम 'लंगड़ा'? कहीं दंगाई भागते हैं तो कहीं पीड़ित

Yogi Model Vs Mamata Model: देश में महिला सुरक्षा के दो बहुचर्चित मॉडलों की चिंता करें तो एक 'ममता' मॉडल है जो रेप जैसे जघन्य अपराध पर जिम्मेदारी लेने या सख्त एक्शन लेने के बजाए लड़कियों को नसीहत देता है. दूसरे मॉडल में रेप जैसे अपराधों में ठोस एक्शन लेकर चंद घंटों में गुनहगार 'लंगड़ा' बना दिया है. मित्रों, यूपी और बंगाल की दो वारदातों से दोनों प्रदेशों के सिस्टम का हाल पता लग जाएगा. बंगाल के दुर्गापुर में एक मेडिकल छात्रा के साथ रेप की घटना को लेकर हंगामा हो रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बदले देर रात छात्रा के हॉस्टल से बाहर निकलने पर सवाल उठा रही हैं.

25 हज़ार का इनामी ढेर

दूसरी तरफ यूपी के मेरठ में बच्चियों से रेप के मामले में पुलिस ने एक आरोपी का एनकाउंटर किया. 25 हज़ार के इनामी बदमाश शहजाद पर पहले से गैंगरेप, छेड़छाड़ और पॉक्सो के केस दर्ज थे. जेल से छूटने के बाद उसने 7 साल की एक बच्ची का रेप किया था. उसने पीड़ित के परिवार को धमकी भी दी थी. जिसके बाद रविवार देर रात वो मुठभेड़ में मारा गया. यानी रेप के आरोपी को यमराज के पास पहुंचा दिया गया. आपको  बताते चलें कि हम अपराधियों के एनकाउंटर का समर्थन नहीं कर रहे, लेकिन रेप जैसे गंभीर अपराध पर जैसी नसीहत ममता बनर्जी देती हैं, हम उसका समर्थन भी नहीं कर सकते हैं.

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ममता का बेतुका बयान!

मित्रों, दुर्गापुर के एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा के रेप केस को लेकर ममता को पुलिस पर सवाल उठाना चाहिए था. अपराधियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करनी थी लेकिन उन्होंने क्या किया. मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर ही सवाल उठा दिया. ममता कहती हैं कि आख़िर मेडिकल कॉलेज ने पीड़ित को आधी रात में बाहर क्यों जाने दिया. ऐसा कहकर वो पीड़ित पर भी सवाल उठा रही हैं कि रात को वो हॉस्टल से बाहर क्यों गई.

उनके मुताबिक़ लड़कियों को रात में बाहर नहीं निकलना चाहिए. क्या एक महिला मुख्यमंत्री से इस तरह के बयान की उम्मीद की जा सकती है. क्या लड़कियों को रात के समय घर या हॉस्टल में ताला लगाकर छोड़ देना चाहिए. क्या रेप के मामलों में कोई मुख्यमंत्री इतनी संवेदनहीन हो सकती हैं. 

दूसरी तरफ़ यूपी की योगी सरकार ने मेरठ एनकाउंटर के बाद एक बार फिर ये साबित किया है कि महिलाओं और बच्चियों से अपराध करने वालों का अंजाम बुरा होगा. मेरठ में योगी फोर्स ने रेप के आरोपी शहज़ाद का एनकाउंटर करके एक बार फिर दिखाया है कि बेटियों पर बुरी नज़र डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. CM योगी ने माफिया को मिट्टी में मिलाने से लेकर मर्डर और लूटपाट के आरोपियों के खिलाफ पिछले साढ़े 8 साल में जबरदस्त अभियान चलाया है.

घर से बाहर न निकलें: ममता

यूपी पुलिस के एक आंकड़े के मुताबिक यूपी में लगभग 15,000 एनकाउंटर हुए हैं जिनमें 30,000 से ज़्यादा अपराधी पकड़े गए और 250 अपराधी मारे गए. इस दौरान 9,500 से ज़्यादा लोग घायल हुए. लेकिन जब बात बंगाल की होती है तो ममता सरकार अपराधियों पर सख्ती दिखाने के बदले पीड़ित के खिलाफ ही खड़ी दिखाई देती है, विरोधी पार्टियों पर निशाना साधती हैं.

कुल मिलाकर बंगाल की मुख्यमंत्री का नज़रिया जहां ये है कि आधी रात को लड़कियां घर से बाहर न निकलें वहीं यूपी के मुख्यमंत्री की सोच है कि आधी रात में अपराधी सड़कों पर नहीं निकलें. दोनों का यही नज़रिया उनके बयानों में भी दिखता है.

बेटियों की सुरक्षा को लेकर घिरने के बाद ममता बनर्जी सफाई दे रही हैं कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है लेकिन पहले की घटनाओं में भी ममता बनर्जी की सरकार और उनकी पार्टी विवादों में रही है. 

टाइम-लाइन

जून, 2025 में कोलकाता के लॉ कॉलेज में छात्रा से गैंग रेप केस में TMC नेता मदन मित्रा ने कॉलेज बंद होने के बाद लड़की के अकेले जाने पर सवाल उठाए थे. TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था कि हर जगह पुलिस नहीं हो सकती है. अगस्त 2024 के आरजी कर केस के बाद शुरुआत में इसे पुलिस ने आत्महत्या का मामला बनाने की पूरी कोशिश की. ममता बनर्जी ने कहा कि महिला डॉक्टरों को नाइट ड्यूटी पर नहीं होना चाहिए.

इसी तरह फरवरी 2024 में संदेशखाली रेप केस को ममता बनर्जी मामूली घटना बताकर खारिज करने की कोशिश की. ममता के ताज़ा बयान से नाराज़ आरजी कर केस की पीड़ित के पिता ने कहा कि ममता को लड़कियों के लिए एक फ़तवा जारी कर देना चाहिए.

ये आपने बंगाल का मॉडल देख लिया. दूसरी तरफ़ योगी सरकार ने मिशन शक्ति के ज़रिए महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण के लिए अभियान चलाया है. 2025 में इसका पांचवां चरण चल रहा है. महिलाओं को सशक्त बनाने की इसी पहल का नतीजा है कि ग़ाज़ियाबाद और बाग़पत जैसे ज़िलों में पुलिस की महिला टीम ने अपराधियों का एनकाउंटर किया. वहीं अपराध और अपराधियों के खिलाफ सख्ती की इसी नीति का असर है कि आबादी के मामले में सबसे बड़े राज्य यूपी में अपराध दर में सुधार हो रहा है.

आंकड़ों की तुलना

NCRB की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रति लाख आबादी पर औसतन 448 अपराध दर्ज हुए, लेकिन यूपी में यह आंकड़ा 335 रहा. महिलाओं के खिलाफ सबसे ज़्यादा अपराध के बावजूद यूपी ने दूसरे राज्यों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. राज्य में प्रति लाख महिला आबादी पर अपराध दर 58 रही, जो राष्ट्रीय औसत 66 से 11 प्रतिशत कम है.

2022 की NCRB रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में यूपी में सज़ा की दर 71 प्रतिशत है जो देश में सबसे ज़्यादा है. NCRB की रिपोर्ट में यूपी में सांप्रदायिक दंगों की संख्या शून्य बताई गई है. मित्रो, जब सांप्रदायिक दंगे की बात चली है तो इस मामले में भी पश्चिम बंगाल और यूपी का उदाहरण देना ज़रूरी है. 

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक़्फ़ क़ानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान दंगा हुआ जबकि यूपी के बरेली में पिछले महीने आई लव मोहम्मद प्रदर्शन के दौरान दंगे की कोशिश की गई. दंगे की ये दोनों वारदातें इसी साल की हैं. मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन के नाम पर हिंदुओं के घरों को जलाया गया. उन्हें अपने गांव से पलायन के लिए मजबूर किया गया. दंगे के लगभग 50 आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. वहीं गिरफ़्तार आरोपियों में से कुछ को ज़मानत भी मिल गई है.

जबकि यूपी के बरेली में समय रहते न सिर्फ हिंसा की साज़िश नाकाम की गई बल्कि साचिश रचने वालों को ऐसा सबक़ सिखाया गया कि वो अब हिंसा से पहले कई बार सोचेंगे. दंगाइयों को गिरफ़्तार किया गया, उनकी संपत्ति सील की गई और फिर अवैध संपत्तियों पर बुलडोज़र भी चलाया गया. यानी यूपी में दंगाई पुलिस के डर से भागे-भागे फिरते हैं और फिर भी बच नहीं पाते हैं. जबकि बंगाल में दंगाइयों के डर से पीड़ितों को ही भागना पड़ता है.

मित्रो, दंगे को लेकर यही नज़रिया दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बयानों में भी दिखता है. DNA मित्रों, दुर्गापुर रेप केस को लेकर कॉलेज को ज़िम्मेदार ठहराने वाली ममता बनर्जी कहीं ऐसा तो नहीं कि अपने कार्यकर्ता की गिरफ़्तारी की वजह से इस तरह के बयान दे रही हैं, क्योंकि रेप केस में 5 आरोपी गिरफ़्तार हुए हैं. जिनके नाम हैं- शेख नसीरुद्दीन, शेख फिरदौस, शेख सफीक, शेख रियाज़ुद्दीन और अपू बाउरी. 

इनमें पहला आरोपी यानी शेख नसीरुद्दीन बिजली विभाग का अस्थायी कर्मचारी होने के साथ टीएमसी का कार्यकर्ता बताया जा रहा है. रेप केस में TMC कार्यकर्ता के शामिल होने के बीच ममता का कॉलेज पर ज़िम्मेदारी डालना उनकी संवेदनहीनता के साथ-साथ राजनीति पर भी सवाल उठाता है.

शौकत मोल्ला की धमकी

एक तरफ़ ममता बनर्जी की पार्टी के कार्यकर्ताओं पर रेप केस में शामिल होने का आरोप है तो दूसरी तरफ़ TMC के एक विधायक खुलेआम अपने विरोधियों को धमका रहे हैं. कैनिंग पूर्व से TMC विधायक शौकत मोल्ला ने एक रैली के दौरान पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को धमकाया. धमकी देते समय उन्होंने धर्म का सहारा भी लिया. 

शौकत मोल्ला कह रहे हैं कि मुस्लिम को कोई हाथ लगाकर देखेगा तो ब्याज समेत हिसाब-किताब समझा देंगे. यहां ब्याज़ समेत हिसाब-किताब का मतलब कोई अंकगणित नहीं है बल्कि वो सीधे-सीधे धमकी दे रहे हैं. मित्रों टीएमसी की जो मर्दानगी विपक्ष के खिलाफ दिखती है वो अपराधियों के खिलाफ क्यों नहीं दिखती है?

जरा सोचिए अगर शौकत मोल्ला जैसे धमकीबाज नेता यूपी में होते तो उसका अंजाम क्या होता? वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी मॉडल की चर्चा भी आजकल यूपी के गांव-गांव से लेकर देशभर में हो रही है.

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Shwetank Ratnamber

जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई और पॉलिटिकल साइंस में भी ग्रेजुएशन. 21 साल से पत्रकारिता में सक्रिय. राजनीतिक खबरों से ख़ास लगाव. फिलहाल ज़ी न्यूज (...और पढ़ें

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