Who is Bahubali Anand Mohan Singh: बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) पिछले कुछ समय से चर्चा में बने हुए हैं. बिहार की नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Govt) ने जेल मैनुअल में संशोधन कर इस साल अप्रैल में आनंद मोहन को रिहा कर दिया था, जो गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए थे और उन्हें उम्र कैद की सजा मिली थी. क्राइम स्टोरीज (Crime Stories) सीरीज के तहत बाहुबलियों की कहानी बता रहे हैं, जिसमें आज हम आपको आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) के बारे में बता रहे हैं.


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आनंद मोहन सिंह ने कराई कलेक्टर की हत्या


आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) की क्राइम कुंडली की शुरुआत साल 1994 में हुई थी, जब उनकी पार्टी के नेता और गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या हो गई. 4 दिसंबर 1994 को छोटन शुक्ला की हत्या हो गई, हालांकि आज तक इस बात का पता नहीं चल पाया कि छोटन शुक्ला की हत्या किसने करवाई. हत्या के बाद मुजफ्फरपुर में तनाव फैल गया और इस दौरान आनंद मोहन ने भड़काऊ भाषण दिए, जिससे लोग उग्र हो गए.


छोटन शुक्ला की हत्या के अगले दिन यानी 5 दिसंबर 1994 को लोग प्रदर्शन कर रहे थे और उसी दौरान गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया (G Krishnaiah) पटना से गोपालगंज लौट रहे थे और उनकी गाड़ी पर लालबत्ती लगी थी. लालबत्ती देखकर लोगों ने डीएम कृष्णैया पर हमला कर दिया और उनको गाड़ी से निकालकर मार डाला. हालांकि, इस दौरान कृष्णैया ने भीड़ को यह बताने की कोशिश भी थी कि वो वो मुजफ्फरपुर के नहीं, बल्कि गोपालगंज के डीएम हैं, लेकिन भीड़ ने उनकी एक नहीं सुनी.


कलेक्टर की हत्या के आरोप में आनंद मोहन को सजा


डीएम जी कृष्णैया (G Krishnaiah) की हत्या का सीधा आरोप आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) पर लगा, क्योंकि उन्होंने भीड़ को उकसाया था. जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जिला एवं सत्र अदालत ने साल 2007 में फैसला सुनाया और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आनंद मोहन को फांसी की सजा दी. इस फैसले को आनंद मोहन ने पटना हाई कोर्ट में चैलेंज किया, जिसे हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया. इसके बाद आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी और साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.


जेल में रहते हुए आनंद मोहन जीत चुके हैं चुनाव


बिहार के कोसी क्षेत्र में बाहुबली के नाम से मशहूर आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) की साल 1990 में राजनीति में एंट्री हुई थी और पहली बार सहरसा से विधायक बने थे. साल 1994 में उन्होंने अपनी पत्नी लवली आनंद को भी राजनीति में शामिल कर लिया और उन्होंने उपचुनाव में समता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. इसके बाद साल 1996 में जेल में रहते हुए आनंद मोहन ने समता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और शिवहर जीत हासिल की. इसके बाद साल 1998 में आनंद मोहन ने राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर शिवहर से सांसद बने.


आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2007 में डीएम जी कृष्णैया (G Krishnaiah) की हत्या के मामले में दोषी साबित हो गए और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गई.