अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं और WHO के निर्देश के बाद दुनियाभर में सबसे बड़ी बहस है कि क्या कोरोना वायरस एयरबोर्न है?
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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं और WHO के निर्देश के बाद दुनियाभर में सबसे बड़ी बहस है कि क्या कोरोना वायरस एयरबोर्न है और क्या कोरोना संक्रमण हवा में भी फैल सकता है. अब सीएसआईआर (CSIR) कोरोना वायरस के हवा में फैलने के दावे की जांच करेगा. इसके लिए हैदराबाद और चंडीगढ़ के संस्थानों से सैंपल लिया जाएगा. इसकी रिपोर्ट 15 दिन में आएगी. सीएसआईआर ये पता लगाएगा कि कोरोना संक्रमण हवा में कितनी देर तक रहता है.
सैकड़ों वैज्ञानिकों का दावा है कि हवा में कोरोना वायरस के छोटे कण मौजूद रहते हैं, जो लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. वहीं सीएसआईआर कोरोना वायरस एयरबोर्न है या नहीं इस दावे की सच्चाई जानने के लिए जांच में जुट गया है.
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15 दिन में आएगी रिपोर्ट
भारत सरकार अस्पतालों की हवा की जांच करेगी और ये रिपोर्ट 15 दिनों में आएगी. CSIR की तरफ से हैदराबाद के सेंटर फॉर सैल्यूलर एंड मॉल्यूकुलर बायोलॉजी और चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबायाटेक्नोलॉजी इन 2 लैब में हवा का सैंपल लिया जाएगा. जहां कोरोना वायरस का लोड ज्यादा हो सकता है वहां से सैंपल लिए जाएंगे. फिर उस हवा की जांच की जाएगी और उसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि हवा में कितनी दूर तक और कितने समय तक कोरोना संक्रमण रह सकता है. तकनीकी रूप से व्यक्ति 5 मिनट तक बात करता है तो 3000 से ज्यादा ऐसे माइक्रो कण निकलते हैं जो कोविड -19 के संवाहक हो सकते हैं, पर ये ज्यादा दूर तक नहीं जा सकते.
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हवा में देर तक नहीं रहता कोरोना संक्रमण
सीएसआईआर का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के हवा में फैलने संबंधी 239 वैज्ञानिकों के दावे से घबराने की जरूरत नहीं है. कोरोना वायरस हवा में अस्थायी तौर पर मौजूद रहता है जिसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि वायरस हर जगह पहुंच रहा है और हर किसी को संक्रमित कर देगा. सीएसआईआर के डीजी शेखर मांडे के मुताबिक, कोरोना संक्रमण खुली हवा में ज्यादा दूर तक नहीं फैल सकता. लिहाजा अपने घर के खिड़की दरवाजे और गाड़ी के शीशे अगर खोल कर रखेगें, तो साफ हवा आएगी कोरोना संक्रमण नहीं. और खुली हवा के कारण संक्रमण दूर तक ट्रैवल भी नहीं कर सकता.
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