घातक रैंपेज मिसाइलें खरीदेगा भारत, दुश्मन के रडार-एयरबेस और हथियारों के भंडार को ध्वस्त करने में अचूक
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घातक रैंपेज मिसाइलें खरीदेगा भारत, दुश्मन के रडार-एयरबेस और हथियारों के भंडार को ध्वस्त करने में अचूक

Operation Sindoor: भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी अड्डों के खिलाफ अपने ऑपरेशन सिंदूर को खत्म नहीं किया है. सरकार का साफ कहना है कि अगर पाकिस्तान या पाक समर्थित आतंकी संगठनों की ओर से कोई हमला होता है तो वो ऐसे ही तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा.

Kamikaze Drones
Kamikaze Drones

India vs Pakistan Army: भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी अड्डों के खिलाफ अपने ऑपरेशन सिंदूर को खत्म नहीं किया है. सरकार का साफ कहना है कि अगर पाकिस्तान या पाक समर्थित आतंकी संगठनों की ओर से कोई हमला होता है तो वो ऐसे ही तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा. यही वजह है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बीच ही आपात हालात के तहत 40 हजार करोड़ के हथियार खरीदने का फैसला किया है, ताकि संघर्ष की स्थिति में दुश्मन को इसी तरह सबक सिखाया जा सके. 

सेना और रक्षा मंत्रालय के उच्चस्तरीय अधिकारियों वाली रक्षा खरीद परिषद ने तयशुदा समय में हथियार मिलने की गारंटी के साथ हथियारों की ऐसी खरीद को मंजूरी दी है. इसमें निगरानी ड्रोन, केमिकाजे ड्रोन्स, घातक मिसाइलें जिसमें ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलें शामिल हैं. रैंपेज मिसाइलें भी ऐसी ही इमरजेंसी खरीद के तहत खरीदी गई थीं. 

इसमें से ब्रह्मोस और स्कैल्प मिसाइलों की ताकत पहले पाकिस्तान देख चुका है. रैंपेज मिसाइलें भी ऐसे अचूक वार के लिए जानी जाती हैं, जिन्हें आपात जरूरतों के तहत खरीदा गया है. 

हथियारों की ऐसी आपात खरीद दिखाती है कि सेना अब किसी भी वक्त ऐसे ऑपरेशन के लिए खुद को तैयार रखेगी. ऐसी खरीद में कंपनियां हथियारों की आपूर्ति में देरी नहीं कर सकतीं. भारत पहले ही साफ कर चुका है कि अगर पाकिस्तान की ओर से फिर कोई हिमाकत की गई तो वो जवाबी कार्रवाई के लिए अब इंतजार नहीं करेगा. पीएम मोदी ने भी साफ कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है. 

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पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों की बारिश को देखते हुए सेना जल्द ही भारत इलेक्ट्रानिक्स और सोलर डिफेंस को निचले क्षेत्र में काम करने वाले रडार और हाईटेक निगरानी सिस्टम का ऑर्डर दे सकती है. सेना हेरोन मार्क 2 ड्रोन्स भी खरीदने की तैयारी में है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दूर से दुश्मन की खुफिया जानकारी जुटाने में काफी मदद की. 

आपात रक्षा खरीद के तहत सेनाएं सामान्य प्रक्रिया की जगह इमरजेंसी जरूरतों के लिए तुरंत हथियारों का ऑर्डर दे सकती हैं और इनकी आपूर्ति 3 से 6 महीने में होती है. किसी देश से संघर्ष, तनाव जैसे वक्त में इनकी बेहद जरूरत होती है.सेना सीधे आपूर्तिकर्ता कंपनी से सौदा कर सकती है. रक्षा मंत्रालय की एक समिति ऐसे सौदों पर नजर रखती है, ताकि किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता न होने पाए.

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