दक्षिण कन्नड़ सीट: मोदी लहर में नलिन कटील को मिल सकता है फायदा, 1991 से कांग्रेस है बाहर
इस तटीय निर्वाचन क्षेत्र में चर्चा है कि मोदी फैक्टर दक्षिण में भाजपा की इस चुनी हुई हिंदुत्व प्रयोगशाला में कातील को एक बार फिर बचा लेगा.
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मंगलुरु: दक्षिण कन्नड़ लोकसभा क्षेत्र में मोदी फैक्टर ही एक अहम कारक है जिससे भाजपा सांसद नलिन कटील के विरूद्ध लहर होने के बाद भी पांसा उनके पक्ष में पलट सकता है. वैसे तो पिछले दो कार्यकाल के दौरान कटील के कथित रूप से कामकाज नहीं करने के कारण मतदाताओं में बड़ा असंतोष है. बहरहाल, विपक्षी कांग्रेस खेमे में भी इसपर उत्साह नजर नहीं आता है. कांगेस ने युवा प्रत्याशी मिथुन राय को चुनाव मैदान में उतारा है. राय उसी बंट समुदाय से आते हैं जिससे कटील हैं.
इस तटीय निर्वाचन क्षेत्र में चर्चा है कि मोदी फैक्टर दक्षिण में भाजपा की इस चुनी हुई हिंदुत्व प्रयोगशाला में कातील को एक बार फिर बचा लेगा. शनिवार को यहां मोदी के चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं का भारी उत्साह नजर आया था. मंगलुरु हवाई अड्डे से लेकर जनसभा स्थल तक के 15 किलोमीट लंबे मार्ग में समर्थकों की भारी तादाद उमड़ी थी.
यह सीट 1991 तक कांग्रेस के पास थी लेकिन राष्ट्रीय फलक पर भाजपा ने एक अहम दावेदार और ‘‘हिंदुत्व के रक्षक’’ के रूप में उभरने के बाद 1991 में यह सीट छीन ली और तब ये यह सीट उसके पास है. इस सीट पर आरएसएस के आलवा हिंदू जागरण वेदिके और श्री राम सेना जैसे दक्षिणपंथी संगठनों की मजबूत उपस्थिति है.
ऐसे संगठनों के कार्यकर्ता नैतिकता के नाम पर धौंसबाजी, गौरक्षा के नाम पर झगड़ा और सांप्रदायिक तनाव फैलाते हैं. वैसे तो प्रारंभ में आरएसएस भी काटील को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं जान पड़ रहा था लेकिन अब उसने अपना रूख बदल लिया है.